हैदराबाद (एजेंसी)। आंध्र प्रदेश के विभाजन का विधेयक अभूतपूर्व कटुता के बीच सोमवार को विधानमंडल में पेश किया गया। विधेयक के पेश होने के बाद तेलंगाना और सीमांध्र (रायलसीमा और तटीय आंध्र) के विधायकों के बीच विधानसभा परिसर में झड़प हुई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा तेलंगाना के गठन के लिए भेजा गया आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2०13 विधानसभा और विधान परिषद में सीमांध्र क्षेत्र के विधायकों के कड़े विरोध के बीच पेश किया गया। हंगामे के कारण दोनों सदनों की बैठक स्थगित कर दी गई और यह नहीं स्पष्ट हो सका कि कब इस पर बहस की जाएगी। यद्यपि तेलंगाना क्षेत्र के विधायक इस पर तुरंत बहस की मांग कर रहे थे तो दूसरी ओर सीमांध्र के विधायक इसका विरोध कर रहे थे। इससे पहले तटीय आंध्र और रायलसीमा के विधायकों ने आंध्र प्रदेश विधानसभा परिसर में सोमवार को पृथक तेलंगाना राज्य के गठन से संबंधित विधेयक की प्रतियां फाड़ी और जलाई जिसके कारण वहां तनाव पैदा हो गया। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2०13 को सदन में पेश किए जाने के तत्काल बाद सीमांध्र के विधायक राज्य के विभाजन का विरोध करने लगे और सदन के बाहर आकर उन्होंने मीडिया के समक्ष विधेयक की प्रतियां फाड़ी और जलाई। तेलुगू देशम पार्टी के नेता डी.उमा महेश्वर राव ने सबसे पहले विधेयक की प्रति फाड़ी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सीमांध्र क्षेत्र के विधायकों ने विधेयक की प्रतियां फाड़ने के बाद उसे आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश की लेकिन विफल रही। तेलंगाना क्षेत्र के विधायकों ने एकजुट होकर इस कदम की आलोचना की। उन्होंने कहा कि विधायकों का यह कदम पूरी तरह आपत्तिजनक है। दोनों पक्षों में झड़प होने लगी और मारपीट की नौबत आ गई। पुलिस ने हस्तक्षेप करके दोनों पक्षों को अलग किया। तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता ई.राजेंद्र ने कहा कि सीमांध्र के नेताओं का कार्य तेलंगाना क्षेत्र के लोगों का अपमान है और उन्हें तत्काल माफी मांगनी चाहिए।इससे पहले आंध्र प्रदेश विधानसभा सोमवार को तेलंगाना राज्य के निर्माण के मुद्दे पर हुए हंगामे के कारण स्थगित कर दी गई। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई विधायक अध्यक्ष के आसन के समीप एकत्र हो गए और नारेबाजी करने लगे। हंगामे के कारण अध्यक्ष नदेंदला मनोहर ने सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधायक चाहते थे कि सदन में तत्काल तेलंगाना विधेयक पर बहस हो। वहीं मुख्य विपक्षी दल तेलुगू देशम पार्टी ने स्थगन प्रस्ताव पेश करके केंद्र सरकार द्वारा राज्य के विभाजन के तरीके पर बहस की मांग की। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने भी एक स्थगन प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने अध्यक्ष से सदन से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से राज्य को एक रखने की अपील करने की मांग की। अध्यक्ष के आग्रह के बावजूद हंगामा शांत नहीं हुआ और सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक भी आज ही होने की संभावना है और उसमें यह फैसला लिया जाएगा कि विधेयक पर कब चर्चा हो। अध्यक्ष के निर्देश के अनुसार विधानमंडल सचिव राजा सदाराम ने विधेयक पेश किया और राष्ट्रपति का संदेश पढ़ा जिसमें विधेयक को 23 जनवरी तक वापस भेजने को कहा गया है। इसके बाद तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों और सीमांध्र के विधायकों के बीच जवाबी नारेबाजी होने लगी। उप मुख्यमंत्री दामोदर राजनरसिम्हा सहित तेलंगाना क्षेत्र के विधायकों ने विधेयक का स्वागत किया। क्षेत्र के मंत्रियों ने मेज थपथपाकर अपनी प्रसन्नता जाहिर की। राज्य के विभाजन का विरोध करने वाले मुख्यमंत्री एन.किरण कुमार रेड्डी सदन में उपस्थित नहीं थे। अध्यक्ष ने आदेश दिया कि विधेयक की तेलुगू और उर्दू भाषा की प्रतियां भी सदस्यों को उपलब्ध होंगी। ठीक इसी तरह का दृश्य विधान परिषद में भी देखने को मिला जब सभापति ए.चक्रपाणि ने विधेयक को सदन में पेश किया। सीमांध्र के विधायकों ने तख्तियां लहराकर और नारेबाजी करके इसका विरोध किया।