तो इसलिए गणेश जी को चढ़ाया जाता है मोदक
गणपति को मोदक बहुत पसंद हैं. गणपति बप्पा को मोदक पसंद होने के पीछे ऐसा कहा जाता है कि एक बार जब गणेश जी और परशुराम के बीच युद्ध हुआ, तो इस युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया था. इसी के बाद से उन्हें एकदंत कहा जाने लगा. इस तरह दांत टूटने की वजह से उन्हें बहुत दर्द हुआ. गजानन दांत के दर्द की वजह से कुछ खा नहीं पाते थे. इसलिए उनके लिए कुछ ऐसा बनाने को कहा गया जिसे वो बिना चबाए आसानी से खा सकें और दांत का दर्द भूल जाएं. इसलिए उन्हें खुश करने के लिए मोदक बनवाए.
इसलिए भक्त चढ़ाते है मोदक
मोदक खाने में बहुत मुलायम होते थे. जिन्हें खाने से गणपति जी का दर्द गायब सा हो गया और उसके बाद से ही गणेश जी को मोदक प्रिय हो गए. इसीलिए भक्तगण उन्हें खुश करने के लिए मोदक का प्रसाद चढ़ाते हैं.
पुराण में क्या है कहानी
जबकि दूसरी कहानी पद्म पुराण में है. जिसमें बताया गया कि एक बार पार्वती और भगवान शिव देवलोक पहुंचे. उन्होंने एक खास तरह का लड्डू यानी मोदक बनाया हुआ था. ऐसी मान्यता थी कि जो भी इस मोदक को खाएगा वह शास्त्र, विज्ञान, कला और लेखन में निपूर्ण हो जाएगा. कार्तिक और गणेश इसे बांटकर खाना नहीं चाहते थे. फिर तय हुआ कि कार्तिक और गणेश अपने को श्रेष्ठ साबित करें. इसलिए शास्त्र, विज्ञान, कला और लेखन में पारांगत होने के लिए कार्तिक यात्रा के लिए निकल गए जबकि भगवान गणेश जी माता पार्वती और शिव के ही चक्कर लगाने लगे. तर्क दिया है माता-पिता की भक्ति के बराबर और बड़ा कुछ नहीं हो सकता है. गणेश के जवाब से खुश होकर पार्वती ने मोदक उन्हें दे दिया.
मोदक अर्थ होता है खुशी
भगवान गणेश जी का प्रिय मोदक का वर्णन पुराणों में भी मिलता है. मोदक का अर्थ होता है आनंद. भगवान गणेश को हमेशा खुश रहने वाला माना जाता है. इसी वजह से उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है. मोदक को ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है और भगवान गणेश को ज्ञान का देवता. इसलिए भी उनको मोदक का भोग लगता है.