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तो क्‍या मंदिर को ढहाकर उसकी बुनियाद पर बना है ताजमहल?

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ tajmahalआगरा. उत्तर प्रदेश देश के जाने-माने पुरातत्वशास्त्री और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग में उत्तर क्षेत्र के निदेशक रह चुके डॉ. केके मोहम्मद की आत्‍मकथा ‘जानएन्ना भारतीयन’ (मैं भी एक भारतीय) को लेकर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है.

केके मोहम्मद का कहना है कि उन्‍होंने अपनी किताब में इसका दावा नहीं किया है कि ताज महल और कुतुब मीनार मंदिरों को ढहाकर उसकी बुनियाद पर बनाए गए. इस तरह की खबरें पूरी तरह निराधार है. कुछ मीडिया रिपोर्ट में केके मोहम्मद की आत्‍मकथा ‘जानएन्ना भारतीयन’ के आधार पर दावा किया गया था कि ताज महल और कुतुब मीनार मंदिरों को ढहाकर उसकी बुनियाद बनाए गए थे.

वामपंथी इतिहासकारों की आलोचना

दरअसल, अपनी आत्‍मकथा में मोहम्‍मद ने वामपंथी इतिहासकारों मसलन इरफान हबीब, रोमिला थापर, आरएस शर्मा और डीएन झा की बाबरी मस्जिद मसले को लेकर तीखी आलोचना की है.

मोहम्‍मद ने कहा, ‘यह बात सच है कि मैंने अपनी आत्‍मकथा में इन वामपंथी इतिहासकारों की आलोचना की. मैंने इस तरह की खबरों को कभी बढ़ावा नहीं दिया. ऐसे में मेरे बारे में इस तरह की बातें कैसे कही जा जा सकती है.’

सोशल मीडिया पर खूब चर्चा

केके मोहम्‍मद की आत्‍मकथा से जुड़ी खबरें सोशल मीडिया पर खूब चर्चा की विषय बनी. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इसे ‘पीटी’ (पेट्रोटिएटिक ट्वीपल) नाम से शेयर किया था. अब हिंदुत्‍वादी संगठनों का कहना है कि ताजमहल और कुतुब मीनार कभी हिंदू मंदिर थे.

यह भी बहस का विषय है कि कुतुब मीनार मूल रूप से पहले विष्‍णु ध्‍वज या भगवान विष्‍णु का मंदिर रहा होगा. खुद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पहले निदेशक जनरल सर एलेंक्‍जेडर कनिंघम ने 19वीं सदी में इसकी पुष्टि की थी. हालांकि, हिंदू धार्मिक ग्रंथों में इसका कहीं जिक्र नहीं है.

कभी ‘तेजो महालय’ था ताजमहल!

कुछ इसी तरह यह भी चर्चा है कि ताजमहल कभी शिव मंदिर था और इसे ‘तेजो महालय’ कहा जाता था. बाद में मुगल बादशाह शाहजहां ने इसे मकबरा में तब्‍दील कर दिया. हालांकि, इतिहासकारों ने हमेशा इन दावों को खारिज किया है.

केके मोहम्‍मद का कहना है, ‘साल 2002-03 में जब केंद्र में एनडीए की सरकार थी तो विहिप और बजरंग दल ने ताजमहल के पश्चिमी तरफ एक मंदिर का लगभग निर्माण कर ही दिया था. बाद में प्रशासन की सहयोग से इसे ढहा दिया गया. इस वजह से उपद्रवी तत्‍वों ने आगरा में मेरे पुतले भी जलाए थे. कुछ इसी तरह सासाराम में भी एक भाजपा विधायक ने शेरशाह सूरी के मकबरे की जगह मंदिर बनाने की कोशिश की थी, लेकिन हमने अदालत के माध्‍यम से इसे रूकवा दिया. मैं इस तरह का आखिरी शख्‍स हूं जो इस तरह की अवैध निर्माण का विरोध करता रहा हूं.’

 

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