ज्ञान भंडार

तो फूटा स्टार्ट-अप का गुब्बारा, युवाओं के लिए नौकरी के लाले

सचिन कुमार पिछले छह महीने से एक विदेशी कंपनी में बतौर ट्रेनी काम कर रहे हैं। इन्होंने पिछले साल आईआईटी से ग्रैजुएशन किया था। सचिन किसी स्टार्ट-अप में काम करना चाहते थे। उन्हें एक स्टार्ट-अप कंपनी में जॉब भी मिली थी, लेकिन कुछ ही महीने में उनसे नौकरी का यह ऑफर वापस ले लिया गया। सचिन ने कहा कि उनके पास फिर कोई जॉब नहीं थी।

उन्होंने बीबीसी से कहा, ”मैंने दूसरी कंपनियों में जॉब के लिए आवेदन करना शुरू किया, लेकिन इनमें से कइयों ने नौकरी देने से इनकार कर दिया। ये और लोगों की नौकरी नहीं देना चाहते थे। दूसरी जॉब की तलाश में मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा।”
 

न्यू स्टार्ट-अप्स कंपनियों ने अपने विस्तार को रोका

भारत में आईआईटी में दाखिला मिलना बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। इसकी प्रतिष्ठा भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरह है। यहां पढ़ने का मतलब किसी प्रतिष्ठित कंपनी में जॉब सुनिश्चित होना माना जाता है। दुनिया भर के निवेशक भारत में स्टार्ट-अप्स को काफी तवज्जो दे रहे हैं, लेकिन इन्हें कमाई करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है।

ऐसे में इन कंपनियों ने अपने विस्तार की योजना को रोक दिया है और नौकरियों में कटौती कर रहे हैं। पिछले साल 30 कंपनियों ने आईआईटी कैंपस में छात्रों को नौकरियों का ऑफर देकर वापस ले लिया था। कंपनियों के इस रुख को देखते हुए आईआईटी प्रबंधन ने छात्रों को बचाने के लिए इन कंपनियों को कैंपस में आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। 
 

आईआईटी प्लेसमेंट सलाहकार इन कंपनियों कर रहे हैं जांच

ये कंपनिया अब देश की किसी भी आईआईटी में छात्रों को जॉब ऑफर करने नहीं जा सकती हैं। आईआईटी मद्रास ट्रेनिंग और प्लेसमेंट सलाहकार मनु संथानम ने बीबीसी से कहा, ”हमलोग इस साल से न्यू स्टार्ट-अप्स को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं। हम अब स्टार्ट-अप्स की फंडिंग और उसके स्रोत की भी जांच करेंगे।

वह कंपनी कितनी सफल हो सकती है, इसकी जांच भी आईआईटी करेगी।” आईआईटी मद्रास ट्रेनिंग और प्लेसमेंट सलाहकार मनु संथानम ने बीबीसी से कहा, ”हमलोग इस साल से न्यू स्टार्ट-अप्स को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं। हम अब स्टार्ट-अप्स की फंडिंग और उसके स्रोत की भी जांच करेंगे। वह कंपनी कितनी सफल हो सकती है, इसकी जांच भी आईआईटी करेगी।”
 

31 स्टार्ट-अप्स कंपनियों को देश के आईआईटी कैंपस में आने पर लगा प्रतिबंध 

2015 में स्टार्ट-अप्स का बुखार चरम पर था, लेकिन 2016 में यह उतरने लगा। आईआईटी स्टूडेंट्स का कहना है कि 2014 तक सब कुछ ठीक था। तब आईआईटी के ज्यादातर छात्र स्टार्ट-अप्स शुरू करना चाहते थे लेकिन अब वह स्थिति नहीं है। आज की दुनिया कुछ और है।

अगस्त 2016 में आईआईटी प्लेसमेंट कमेटी ने पहली बार 31 स्टार्ट-अप्स कंपनियों को देश भर के 23 आईआईटी कैंपस में आने पर प्रतिबंध लगा दिया। इनमें ग्रोफर्स, जोमैटो, पोर्टिया मेडिकल और बाबाजॉब्स जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।इन कंपनियों पर आईआईटी ने स्टूडेंट्स के करियर के साथ खेलने की बात कही। इन कंपनियों ने या तो जॉब की चिट्ठी देने में अनावश्यक देरी की या लेटर ही नहीं भेजा। कहा जा रहा है कि आईआईटी कैंपस में स्टार्ट-अप्स का गुब्बारा फूट गया है।
 

Related Articles

Back to top button