दिमाग में मानचित्र बनाकर घर तक लौटती हैं मधुमक्खियां
वाशिंगटन। आम तौर पर यह समझा जाता है कि मधुमक्खियां सूर्य को कम्पॉस की तरह उपयोग में लाते हुए विचरण करती हैं लेकिन हालिया शोध में यह भी पता चला है कि काफी छोटा दिमाग होने के बावजूद मधुमक्खियां इंसानों की तरह दिमाग में मानचित्र बनाने की काबिलियत रखती हैं। इस शोध ने मधुमक्खियों के विचरण को लेकर हमारी विचारधारा को और अधिक रोचक बना दिया है। फ्री यूनिवर्सिटी ऑफ बर्लिन ने न्योरोलोजिस्ट रैनडोल्फ मेंजल ने कहा ‘‘यह कई लोगों के लिए आश्यर्च की बात हो सकती है कि इतने छोटे से सिर में इतनी ज्यादा स्मृतियां बन सकती हैं जो काग्निटिव मैप कहलाती हैं।’’ इस शोध से यह बात सामने आई है कि मधुमक्खियों को उनके छत्ते तक पहुंचाने का एकमात्र साधन सिर्फ सूरज नहीं है। इसके बदले में वह खास मानचित्र का सहारा लेती हैं जो उनके दिमाग में स्थान का नक्शा तैयार कर देता है जिसकी मदद से वह अपने घर वापस लौट आती हैं। इंसानों के दिमाग में यह मानचित्र रोज बनता है। इंसान बिना खिड़की वाले दफ्तर में भी अपने घर की दिशा बता सकते हैं। ईस्ट लैंसिंग स्थित मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के व्हावहारिक जैव वैज्ञानिक फ्रेड डायर ने कहा ‘‘वे अपने घर की तरफ इशारा कर सकते हैं जबकि वह इसे देख नहीं सकते।’’अध्ययन यह बताता है कि मधुमक्खियां भी कुछ इसी तरह कर सकती हैं। शोधकर्ताओं ने इसका पता लगाने के लिए मधुमक्खियों और सूरज के बीच अवरोध उत्पन्न किया। उन्होंने कृत्रिम तरीके से मधुमक्खियों को निंद्रा की अवस्था में पहुंचाया और जब वह नींद से जागीं मेंजल और उनके साथियों ने उन्हें मुक्त किए गए स्थान से सैंकड़ों मीटर दूर उनके छत्ते तक उनकी चाल को हार्मोनिक रडार प्रणाली के जरिए रिकार्ड किया। जब मधुमक्खियों को जब अनजाने स्थान पर मुक्त किया गया पहले वह गलत दिशा में उड़ी। वे अपनी छत्ते से विपरीत दिशा में उड़ीं। जब उनके अपने उठने के समय में बदलाव हुआ उन्हें सुबह होने का अहसास हुआ इसलिए वे सूरज की किरनों पर आधारित दिशा के अनुसार गलत दिशा में उड़ीं। मेंजल कहते हैं ‘‘लेकिन जब उन्होंने उड़ान दोबारा शुरू की उन्होंने सूरज से मिलने वाले संकेतों को दरकिनार कर दिया। वह उसके सहारे चल रही थीं जो काग्निटिव मैप थी।’’ यह शोध प्रोसिडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज में प्रकाशित हुई है।