एक महिला ने पटपड़गंज स्थित मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों पर चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाया है। महिला के मुताबिक वह पथरी का उपचार कराने के लिए कुछ समय पहले पटपड़गंज स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती हुई थीं। आरोप है कि साढ़े तीन लाख रुपये इलाज में खर्च करने के बाद भी उन्हें आराम नहीं मिला। उल्टे उन्हें कई और बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
शिकायतकर्ता रजनी (31) आईपी एक्सटेंशन में रहती हैं। पेशे से शिक्षिका रजनी ने बताया कि गॉल ब्लाडर में पथरी की वजह से 28 फरवरी को वह मैक्स पटपड़गंज में भर्ती हुईं।
एक मार्च को एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेट चोलैगियोपैरेस्टोग्राफी (ईआरसीटी) के जरिये डॉक्टरों ने इसे शरीर से निकाल भी दिया। हालांकि इलाज के बाद उनके पेट दर्द बढ़ गया। जांच में पता चला कि पथरी निकालते समय डॉक्टरों ने पित्त के पास की नली काट दी, जिसके वजह से उन्हें संक्रमण हो गया। फिलहाल वे एम्स में इलाज करा रही हैं।
उन्होंने मधु विहार थाने में अस्पताल के खिलाफ लिखित शिकायत दी है जिसके बाद पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन से जवाब भी मांगा है। उधर रजनी ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से भी करने की बात कही है। बता दें कि इससे पहले शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा था।
तीन दिन तक रहीं आईसीयू में, नहीं दिए कागज
रजनी ने बताया कि तीन दिन तक उन्हें आईसीयू में रखा। बाद में डॉक्टरों ने ये कहते हुए उनकी छुट्टी कर दी कि कुछ समय बाद आराम मिल जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
रजनी ने विरोध किया तो डॉक्टरों ने दोबारा टेस्ट किया तो पता चला पेट में फ्लूड जमा है। बावजूद इसके 13 मार्च को उन्हें छुट्टी दे दी गई। इलाज के कागज भी उन्हें नहीं दिए। जबकि कानूनन मरीज अपने इलाज संबंधी सभी दस्तावेजों को पाने का अधिकार रखता है।
अस्पताल का जवाब
इस मामले में मैक्स अस्पताल की ओर से कहा गया है कि रजनी की जांच में कॉमन बाइल डक्ट (सीबीडी) में पथरी होने का पता चला था। इसके लिए उसकी इआरसीपी की गई, जिसके बाद उसने पेट दर्द की शिकायत की।
यह दर्द पैनक्रियाज में संक्रमण की वजह से हुआ, जिसका होना स्वाभाविक है। इसलिए उन्हें आईसीयू में रखा। अस्पताल का आरोप है कि इसके तीन सप्ताह के बाद मरीज को स्टेंट निकालने और गॉल ब्लाडर के इलाज के लिए बुलाया गया था, लेकिन मरीज अस्पताल नहीं आई।
सोमवार को डीएमसी से करेंगी शिकायत
सरकारी डॉक्टरों का हवाला देकर रजनी ने कहा कि अस्पताल ने ईआरसीपी के दौरान सीबीडी में कट की बात छुपा ली। यही नहीं पैनक्रियाज में संक्रमण भी इसी कट के बाद हुआ, क्योंकि इससे पहले की जांच में इसका कहीं जिक्र नहीं हुआ।
अस्पताल इस तथ्य पर भी गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। रजनी ने कहा कि अगर उनकी तबियत ठीक होती तो उन्हें एम्स जैसा संस्थान भर्ती क्यों करता? उनका कहना है कि सोमवार को वे दिल्ली मेडिकल काउंसिल में भी शिकायत दर्ज कराएंगी।