समिति ने जांच के दौरान ओमप्रकाश शर्मा से यह जानने का प्रयास किया कि क्या उन्हें अपने व्यवहार पर कोई खेद है। समिति का कहना है कि यदि शर्मा ने अपने दुव्र्यवहार पर खेद प्रकट किया होता तो उन्हें चेतावनी देकर छोड़ा जा सकता था, लेकिन शर्मा ने ऐसा नहीं किया।
शर्मा का व्यवहार आहत करने वाला है और वह अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और सदस्यों के सदन में बोलने पर टोका-टाकी करते रहे हैं तथा यह सब सदन की कार्यवाही में दर्ज है।
इधर शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है जिसके लिए उन्हें क्षमायाचना या खेद प्रकट करना पड़े।
इस पूरी घटना की रिकार्डिंग सदन की कार्यवाही के दौरान हुई है और वह बार-बार अनुरोध करते रहे कि उसको देखना चाहिए, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। उन्होंने कहा ,’माइक मैंने नहीं तोड़ा है और मैं इसके लिए खेद क्यों प्रकट करूं।’
समिति की संस्तुति पर सवाल खड़ा करते हुए शर्मा ने कहा कि उसमें सभी सदस्य सत्ता पक्ष दल के हैं और वह एकतरफा तथा मनमाना फैसला लेते हैं। उनका फैसला विपक्ष को दबाने के लिए है और वह समिति की संस्तुति के खिलाफ उचित मंच पर अपील करेंगे।