दिल्ली के फॉर्म हाउस में कैद हैं भाई-बहन, तीनों बच्चे विलुप्तप्राय जनजाति के
गुमला. झारखंड गुमला के चैनपुर प्रखंड के रहने वाले एक ही परिवार के तीन भाई-बहन मानव तस्करी के शिकार हो गए हैं. ये लोग विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी जनजाति असुर समुदाय के हैं. बताया जा रहा है कि दो बच्चे दिल्ली के एक फॉर्म हाऊस में कैद हैं और एक का पता नहीं है.
लुपुंगपाट गांव के रहने वाले तीनों भाई-बहनों को गांव के ही दलालों ने दिल्ली ले जाकर प्लेसमेंट एजेंसियों के हाथों बेच दिया है. इनमें एक भाई व एक बहन दिल्ली के एक फार्म हाउस में कैद हैं. जबकि एक बहन का कोई पता नहीं है.
जागरूकता के अभाव में बच्चों की खोज में उनके माता-पिता वर्षों से भटक रहे हैं. बच्चों की मौसी ने सीडब्लूसी को आवेदन देकर खोजबीन की गुहार लगाई.
खोज में भटक रहे मां-बाप
करीब ढाई साल पहले जब इन बच्चों को दिल्ली ले जाया गया. तब एक बहन की उम्र 10, दूसरी बहन 11 व भाई 13 साल का था. जागरूकता के अभाव में तीनों बच्चों के पिता स्टीफन असुर व मां कुसमिता असुर दर-दर की ठोकरें खा रही थी. इन्हें पता नहीं था कि अपने बच्चों को ढूंढने के लिए वे किनके दर पर जाएं. बच्चों के दलालों द्वारा ले जाए जाने के बाद से ही माता- पिता उनके लौटने की राह तक रही थी.
हाल ही में जब चाइल्ड लाइन एराउज ने लुपूंगपाट में जागरूकता अभियान चलाया, तो यह मामला सामने आया.
मौसी ने की लिखित शिकायत
तीनों बच्चों की मौसी अनस टटिया असुर शुक्रवार को चाइल्ड लाइन पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी दी. इसके बाद चाइल्उ लाइन की सदस्य कृपा खेस व सुमन लकड़ा बच्चों की मौसी को लेकर सीडब्लूसी पहुंचे. जहां मौसी अनस ने सीडब्लूसी को लिखित आवेदन देकर तीनों सगे भाई- बहनों को दलों द्वारा दिल्ली ले जाकर बेच देने की जानकारी देते हुए उनकी खेजबीन की गुहार लगायी. हालांकि बच्चों के माता- पिता स्टीफन व कुसमिता किसी कारणवश गुमला नहीं पहुंच पाये.
दोनों सोमवार को गुमला आकर बच्चों को ले जाने वाले दलालों का नाम व पूरे घटना क्रम की जानकारी देंगे. मौसी अनस ने बताया कि जिस फार्म हाउस में दोनों भाई- बहन हैं, उस फार्म हाउस के मकान मालिक का मोबाईल नंबर बच्चों के माता पिता के पास है.