दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, पासपोर्ट में जरूरी नहीं है पिता का नाम
एजेंसी/
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि कुछ मामलों में पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ितयों के लिए मां का नाम देना ही पर्याप्त होगा। पिता का नाम पासपोर्ट में देना जरूरी नहीं है। खासतौर पर इसलिए क्योंकि अकेली मां प्राकृतिक संरक्षक होने के साथ-साथ अभिभावक भी हो सकती है।
जस्टिम मनमोहन ने इस हफ्ते की शुरुआत में क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस को निर्देश
दिया था कि वह सिंगल पैरेंट वाली एक लड़की के पासपोर्ट आवेदन को स्वीकार करे। उसे पिता का नाम बताने पर जोर दिए बिना ऐसा किया जाए।
कोर्ट ने फैसला दिया कि अधिकारी पासपोर्ट पर बायोलॉजिकल पिता के नाम बताने पर तभी जोर दे सकते हैं, जब ऐसा कानूनन जरूरी हो, जैसे मौजूदा निर्देश हैं। किसी भी प्रावधान के अभाव में पासपोर्ट में किसी के जैविक पिता के नाम का उल्लेख करने के लिए आवेदनकर्ता पर दबाव नहीं डाला जा सकता है।
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि कई कारणों से सिंगल माता-पिता वाले परिवारों की संख्या बढ़ रही है। इसका कारण बिना विवाह के मां बनी महिलाएं, सेक्स वर्कर, सेरोगेट मदर, दुष्कर्म की पीड़ित महिलाएं, पिता द्वारा परित्यक्त बच्चे और आईवीएफ टेक्नोलॉजी द्वारा बच्चों का जन्म लेना हैं।
उन्होंने कहा कि पासपोर्ट ऑफिस का सॉफ्टवेयर सिंगल पैरेंट के आवेदन को स्वीकार नहीं करता, सिर्फ इसलिए यह एक कानूनी अनिवार्यता नहीं हो सकती है। हाईकोर्ट ने साल 2005 और 2011 में दो मौकों पर ऐसा किए जाने का उदाहरण दिया। कहा कि तब लड़की को बिना उसके पिता के नाम के पासपोर्ट जारी किया गया था।
जो इसका सबूत है कि यह जरूरत कानूनी बाध्यता नहीं है, यह सिर्फ एक प्रक्रियात्मक औपचारिकता है। इस आधार पर उसके पासपोर्ट के आवेदन को खारिज नहीं किया जा सकता है।