लखनऊ : महिला अधिकारों की रक्षा का दावा करने वाली पुलिस की 1090 यूनिट में दुधमुंही बच्ची के साथ ड्यूटी पर आने के चलते महिला सिपाही को निलंबित कर दिया गया। सिपाही ने अब हक और इंसाफ के लिए डीजीपी कार्यालय में गुहार लगाई है। डीजीपी ने उसे अपने कार्यालय से संबद्ध करके मामले की जांच शुरू करा दी है। वूमेन पॉवर लाइन ‘1090’ परिसर में मां की ममता पर मार पड़ी। मामला करीब डेढ़ माह पहले का है। छुट्टी न मिलने पर सिपाही सुचिता सिंह अपनी दुधमुंही बच्ची को लेकर 1090 कार्यालय में ड्यूटी निभाने पहुंचीं। आरोप है कि इसके चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया। महिला सिपाही की शिकायत पर डीजीपी मामले की जांच करा रहे हैं। 1090 में तैनात एक अन्य महिला सिपाही ने भी अपने उत्पीडऩ का आरोप लगाया है। शानू पाल ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई है कि जरूरत पर उसने गिड़गिड़ाकर अफसरों से छुट्टी मांगी तो फटकार कर भगा दिया गया। 1090 में महिलाओं के उत्पीडऩ के आरोप तब सामने आए हैं जब यहां की मुखिया एडीजी महिला ही हैं। पिछले वर्ष झांसी के थाना कोतवाली में महिला सिपाही अर्चना जयंत की छह महीने की दुधमुंही बेटी को लेकर काम करते हुए फोटो वायरल हुई तो प्रदेश के मुखिया डीजीपी ने उनका सम्मान किया। साथ ही महिला सिपाही की गृह जनपद के नजदीक पोस्टिंग भी कर दी। उन्हें मदर कॉप की उपाधि से भी नवाजा गया था। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने 1090 में बच्चों के लिए क्रेच बनवाया था, यहां काम करने वाली महिलाएं बच्चों को क्रेच में छोड़कर आसानी से काम कर सकती थीं। मौजूदा डीजीपी भी क्रेच बनवाने के पक्ष में हैं, लेकिन 1090 के क्रेच को बंद करके बच्चों के सामान को कबाड़ में फेंक दिया गया। एडीजी 1090 अंजू गुप्ता के मुताबिक, महिला सिपाही सुचिता सिंह अपनी बच्ची को लेकर कार्यालय आईं थी, इसीलिए उसे निलंबित किया गया है। ये हमारी पॉलिशी है। मैं क्रेच नहीं रखना चाहती, इसीलिए बंद किया है। इसका कोई भी महिला पुलिसकर्मी खर्चा ही नहीं देना चाहतीं और न ही बच्चों को रखना चाहती है। शानू पाल ने आईजीआरएस पर क्यों शिकायत की है, इसकी जांच की जाएगी। अन्य अधिकारी मेडिकल लीव पर छुट्टी पर गए हैं।