दूध यदि पीला पड़ जाए तो मौजूद है उसमें सिंथेटिक
दस्तक टाइम्स/एजेंसी : सामान्य तौर पर दूध के जैसे दिखने वाले सिंथेटिक दूध की पहचान आमतौर पर सामान्य लोग नहीं कर पाते। यह पूरी तरह कृत्रिम होता है। इसमें दूध की जगह तरल हाइड्रोजन पैरॉक्साइड मिलाया जाता है।
साथ ही भोजन में इस्तेमाल होने वाला तेल, कास्टिक सोडा, यूरिया, शुगर, डिटर्जेंट आदि को भी प्रयोग में लिया जाता है।
इसका लगातार सेवन व्यक्ति के शरीर में स्लो पॉइजन का काम करता है। इसके कारण धीरे-धीरे शारीरिक तकलीफें होने लगती हैं। आइए जानते हैं इसके दुष्प्रभावों के बारे में।
कास्टिक सोडा : पेट के प्राकृतिक अम्ल को नष्ट कर पाचनतंत्र कमजोर करता है और दस्त की समस्या बढ़ाता है।
कार्सिनोजिन : यह तत्त्व शरीर के अंगों में कैंसर रोग की आशंका को बढ़ाता है।
तेल से शरीर में सूजन व अंगों में पानी भरने की दिक्कत (ड्रॉप्सी) हो जाती है।
शरीर आर्टिफिशियल स्वीटनर, कलर व प्रिजर्वेटिव्स को अवशोषित नहीं कर पाता। जो अंग इसे एब्जॉर्ब करता है उसकी कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।
इसमें मौजूद सिंथेटिक रंग पेट में दर्द व दस्त की समस्या पैदा करता है। गर्भवती महिला यदि इस दूध को नियमित रूप से पिए तो गर्भस्थ शिशु के विकास में बाधा आ सकती है।
ऐसे करें पहचान
फ्रिज में इसे 24 घंटे के लिए स्टोर करें, सिंथेटिक होने पर इसका रंग पीला हो जाएगा।
इसकी कुछ बूंदों को हथेली पर मसलने से झाग बनता है। शुद्ध दूध एसिडिक जबकि सिंथेटिक दूध एल्कलाइन तत्त्वों (खार के गुण वाला) से बनता है। इसमें लिटमस पेपर डालने से पेपर का रंग बदलना भी इसकी पहचान है।