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दून की नहीं रही शुद्ध आबोहवा, सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल

देहरादून: क्या यह वही दून है, जो कभी रिटायर्ड लोगों का शहर माना जाता था। यहां का सुकूनदायक माहौल और स्वच्छ आबोहवा रिटायरमेंट के बाद जिंदगी की दूसरी पारी को नई गति देती थी। शहरीकरण की अंधी दौड़ में हम दून के उस सुकून को बेहद पीछे छोड़ आए हैं, जो शहर कभी स्वच्छ आबोहवा के लिए जाना जाता था। उसकी गिनती आज देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में होने लगी है।दून की नहीं रही शुद्ध आबोहवा, सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल

जानकारी बेहद हैरानी वाली है कि वायु प्रदूषण में दून का नाम देश के 273 शहरों में छठे सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो चुका है। हाल ही में संसद में रखी गई केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट में हमारे शहर की यह स्याह तस्वीर उजागर हुई। रिपोर्ट के मुताबिक दून में पीएम (पार्टिकुलेट मैटर)-10 की मात्रा मानक से चार गुना 241 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (वार्षिक औसत) पाई गई है। जबकि यह 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

दून की फिजा में घुलते जहर को हर दूनवासी महसूस कर सकता है और अब तो आकंड़े भी चीख-चीख कर कह रहे हैं कि सांसों में घुलते जहर को नहीं थामा गया तो नतीजे बेहद भयानक होंगे। पर जिस प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर प्रदूषण पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी है, उसकी भूमिका तो आंकड़े एकत्रित करने से आगे ही नहीं बढ़ रही। 

दून के जिस संभागीय परिवहन कार्यालय में हर साल करीब 54 हजार नए वाहन पंजीकृत हो रहे हैं, वह भी यह जानने की कोशिश नहीं कर रहा कि शहर में कितने वाहन मानक से अधिक धुआं छोड़ रहे हैं। जिस दून शहर में वायु प्रदूषण का ग्राफ दिनों-दिन बढ़ रहा है, वहां प्रदेश की सरकार भी बैठती है। 

यह बात और है कि आज तक किसी भी सरकार की प्राथमिकता में दून का वायु प्रदूषण रहा ही नहीं। विपक्ष का शोर भी कभी बढ़ते वायु प्रदूषण पर सरकार की खामोशी को नहीं तोड़ पाया। कुछ सामाजिक संगठन जरूर दून की आबोहवा को लेकर सुसुप्त सरकार को जगाने का प्रयास करते हैं, लेकिन इनकी आवाज सुनता ही कौन है।

वायु प्रदूषण में टॉप टेन राज्य 

राज्य———प्रदूषण का स्तर

झारिया———-280 (पीएम-10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर)

दिल्ली———–278

भिवाड़ी———-264

वाराणसी——–256

बरेली————253

देहरादून———241

गाजियाबाद—–235

फिरोजाबाद—–223

सहारनपुर——-218

कानपुर———-217

बनेगी रणनीति 

आरटीओ सुधांशु गर्ग के मुताबिक मानक से अधिक धुआं उगल रहे वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। चेकिंग अभियान तेज किया जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

ये भी हैं कारण 

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएस राणा के मुताबिक वायु प्रदूषण के बढऩे सबसे बड़ा कारण वाहन और अवैध तरीके से चल रहे प्रतिबंधित श्रेणी के जनरेटर हैं। इसके अलावा दून में निर्माण कार्य भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा रहे हैं।

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