देश के इन 5 मंदिरों में हैं भगवान की अलौकिक शक्ति, यहाँ पूरी हो जाती है हर मुराद
देश विदेश के लोग भी यहां आकर अध्यात्म की शक्ति के आगे नतमस्तक हो जाते हैं। भक्ति की शक्ति की ही महिमा है कि हमारे देश में लगभभ हर राज्य और क्षेत्र में आस्था के केन्द्र स्वरूप कई दिव्य मंदिर प्रतिष्ठित हैं। ईश्वर की अराधाना के साथ इन मंदिरो और देवालयों में भक्तजन अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भी आते हैं ..और हमारे देश में कुछ मंदिर तो सिद्धी कामना के लिए ही जाने जांते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन मंदिरों में जागृति शक्तियां, भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। आज हम आपको ऐसे ही कुछ चमत्कारी मंदिरो के बारे में बता रहे हैं जहां से कभी कोई खाली नही लौटता..यहां आने वालों की हर कामना जरूर पूरी होती है।
पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर एक विख्यात हिन्दू मंदिर है,
जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है… ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार, पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था. वह यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए। सबर जनजाति के देवता होने की वजह से यहां भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह है। जगन्नाथ मंदिर की महीमा देश में ही नहीं विश्व में भी प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना जगन्नाथ भगवान अवश्य पूरी करते हैं।
उत्तराखंड में एक ऐसा स्थान भी है,
जहां मां दुर्गा साक्षात् प्रकट हुई थीं। देवभूमि का ये स्थान भारत का एकमात्र और दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं. खुद नासा के वैज्ञानिक भी इस पर शोध कर चुके हैं..ये है देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कसार देवी मंदिर। मां दुर्गा के इस मंदिर में अनोखी शक्तियां मौजूद हैं… यहां आने वाले भक्त आसानी से सैकड़ों सीढ़ियां बिना किसी थकावट के ही चढ़ जाते हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि ढाई हजार साल पहले मां दुर्गा ने दो राक्षसों का वध करने के लिये कात्यायनी रूप में अवतार लिया था… तब से इस जगह को विशेष स्थान के रूप में जाना जाता है और लोगों का दृढ विश्वास है कि माता के इस दरबार में आनेवाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
3 महाकाली शक्तिपीठ है जागृत मंदिर
गुजरात के पंचमहल ज़िले में स्थित
‘पावागढ़ महाकाली मंदिर’ एक शक्तिपीठ है जिसे जागृत माना जाता है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जहाँ-जहाँ माता सती के अंग के टुकड़े, धारण किए हुए वस्त्र तथा आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये।मान्यता है कि यहां देवी सती के दाहिने पैर की उंगलियां गिरी थीं। लोगों की यहाँ गहरी आस्था है। उनका मानना है कि यहाँ दर्शन करने के बाद माँ उनकी हर मुराद पूरी कर देती हैं।
राजस्थान के दौसा जिले के पास
दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर नामक स्थान है। यहां पर एक बहुत विशाल चट्टान में हनुमान जी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी। इसे ही श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है। यह मंदिर तथा यहाँ के हनुमान जी का विग्रह काफी शक्तिशाली एवं चमत्कारिक माना जाता है तथा इसी वजह से यह स्थान न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में विख्यात है। यहां आनेवाले भक्तों की हर पीड़ा और संकट को हनुमानजी हर लेते हैं.. साथ ही बुरी आत्माओं और काले जादू से पीड़ित रोगों से छुटकारा पाने के लिए भी लोग यहां आते हैं।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में पहाड़ियों के बीच
हिंगलाज माता का मंदिर बसा है। 51 शक्ति पीठ में सबसे प्रमुख है शक्तिपीठ। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यहां सती का सिर गिरा था। हिंगलाज माता के इस चमत्कारिक मंदिर की देख रेख मुसलमानों द्वारा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो अपनी मनोकामना माता हिंगलाज के सामने रखता है माता उसे अवश्य पूरा करती हैं.इसके बावजूद भारत में भक्त हिंगलाज शक्ति पीठ के दर्शन के लिए तरसते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद बलोच नेता अपनी तकलीफ दुनिया के सामने आने पर खुश हैं। उनका कहना है कि भारत को इसलिए भी बलोच लोगों की मदद करनी चाहिए क्योंकि दोनों जगह के लोगों का रिश्ता बहुत पुराना-बहुत प्राचीन है।