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नए ऑर्डर की सुस्त रफ्तार

दस्तक टाइम्स / एजेंसी
industri-llमुंबईः मोदी सरकार के पहले कुछ महीनों में तेजी आने के बाद भारतीय उद्योग जगत को मिलने वाले नए ऑर्डर की रफ्तार सुस्त हो गई है। इसी साल सितंबर में भारतीय कंपनियों को मिलने वाले नए ऑर्डर में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 30 फीसदी की कमी दर्ज की गई। भारतीय कंपनियों द्वारा स्टॉक एक्सचेंजों को भेजे गए आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। सितंबर तिमाही में भारतीय कंपनियों ने 46,976 करोड़ रुपए मूल्य के नए ऑर्डर प्राप्त होने की घोषणा की। जबकि वित्त वर्ष 2015 की समान अवधि में यह आंकड़ा 66,867 करोड़ रुपए रहा था। इसी साल जून में तिमाही के दौरान भारतीय कंपनियों ने 76,553 करोड़ रुपए के नए ऑर्डर प्राप्त होने की घोषणा की थी जो केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद इस लिहाज से सबसे बेहतर तिमाही रही। नई सरकार ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र की सभी बाधाओं को दूर करने के वादे के साथ सत्ता संभाली थी।
मौजूदा कैलेंडर वर्ष की जनवरी से मार्च तिमाही में भारतीय कंपनियों को प्राप्त होने वाले ऑर्डरों का प्रवाह सालाना आधार पर 11.85 फीसदी की गिरावट के साथ 49,599 करोड़ रुपए रह गया। सीएमआईई की उस रिपोर्ट के मद्देनजर बुनियादी ढांचा और बिजली क्षेत्र में नए ऑर्डरों का प्रवाह घट गया जिसमें कहा गया था कि सितंबर तिमाही में अटकी परियोजनाओं में एक बार फिर 7.6 फीसदी की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य तौर पर इस्पात क्षेत्र के कारण अटकी परियोजनाओं में इजाफा हुआ। इस्पात क्षेत्र में अटकी परियोजनाओं में 50 फीसदी से अधिक की बढ़ौतरी हुई। दबाव झेल रहे दो प्रमुख क्षेत्र- लौह एवं इस्पात और बिजली उत्पादन- का अटकी परियोजनाओं में सबसे अधिक निवेशक है। लौह एवं इस्पात क्षेत्र का करीब 22 फीसदी और बिजली उत्पादन क्षेत्र का करीब 30 फीसदी निवेश अटकी परियोजनाओं में है।

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