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मुम्बई : क्या एक मर्द औरत के रूप में नाच नहीं सकता? नाचते वाले मर्द को कलाकार कहने की बजाए नचनिया क्यों कहा जाता है? नचनिया शब्द सुनकर एक कलाकार को अपमान का घूंट पीना पड़ता। एक तरह से उसकी कला को अपमानित किया जाता है। यहां हम बात कर रहे हैं उस दौर की, जब एक पुरूष औरत की तरह साज-क्षृंगार कर नृत्य करता था। यह उसका कला प्रेम था लेकिन समाज ने उसे नचनिया घोषित कर उसे हास्य का पात्र बना दिया लेकिन आज डांस रिएलिटी शोज़ में प्रतिभागियों की भीड़ को नचनिया नहीं कहा जाता। डांस विजेताओं को सिर-आंखों पर बिठाया जाता है। कितना बदल गया है वक्त और बदल गई है लोगों की सोच। अभिऩेत्री संभावना सेठ के पति व अभिनेता अविनाश द्विवेदी इसी मुद्दे को फिल्म ‘नचनिया’ के जरिए सामने ला रहे हैं जिसमें उन्होंने नचनिया का किरदार निभाया है। हालांकि अविनाश खुद एक अच्छे डांसर हैं और उन्होंने एक डांस रिएलिटी शो भी जीता है लेकिन इस फिल्म के लिए उन्हें दो महीने तक कथक डांस सीखना पड़ा। अविनाश कहते हैं कि यह फिल्म भले ही भोजपुरी है, लेकिन यह सभी भाषाओं को समेटती है। डांसर्स देश भर में मौजूद हैं जिन्हें कभी समाज नचनिया समझकर उनकी तौहीन करता रहा। एक नचनिया के दिल का दर्द किसी ने नहीं समझा। आखिर नर्तक को नचनिया कहकर उसका अपमान क्यों किया जाता है।
अविनाश की फिल्म ‘नचनिया’ दर्शकों को उसी कालखंड में लेकर जाएगी। अविनाश दर्शकों से उम्मीद करते हैं कि इस फिल्म को भाषाई दायरे में न बांधकर हर भाषा के दर्शक इसे देखने आएं ताकि उन्हें एक कलाकार की सही तस्वीर नज़र आए। भोजपुरी से लेकर बाॅलिवुड तक अभिनय की तारीफ हासिल कर रहे अविनाश की फिल्म नचनिया रिलीज़ से पहले ही अविनाश तीन फिल्में साइन कर चुके हैं।