इसमें विद्यार्थी को प्रश्नपत्र में 33 प्रतिशत यानी कि पास होने के लिए 27 अंक लाने अनिवार्य होंगे। इसके अलावा 20 अंकों की परीक्षा संबधित स्कूलों द्वारा ली जाएगी। नये दिशा निर्देशों के तहत स्कूल को 10-10 अंकों की साल भर में तीन परीक्षाएं लेनी होंगी और उनमें से दो उत्तम परीक्षा के एवरेज अंकों को छात्र को प्रदान किया जाएगा। इसी तरह छात्रों पांच नंबर विद्यार्थी के अनुशासन आदि का आकलन कर दिए जाएंगे, जबकि 5 अंकों की विषय संवर्धन गतिविधि करायी जाएगी।
इसमें हिंदी व अंग्रेजी विषय में वाचन एवं श्रवण कौशल शामिल होगा। गणित व विज्ञान में प्रयोगात्मक कार्य व सामाजिक विज्ञान में नक्शे पर आधारित कार्य छात्र को करना होगा। सह शैक्षिक गतिविधियों एवं अनुशासन के लिए छात्रों को पांच सूत्रीय ए से ई तक के ग्रेड अंक दिए जायेंगे। दसवीं में पुरानी बोर्ड परीक्षा आधारित प्रणाली लागू किए जाने और ग्रेडिंग के स्थान पर नंबर देने की शिक्षा प्रणाली लागू होने से बच्चों में कंप्टीशन की भावना बढ़ेगी। शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा।
– मंजू जोशी, सीबीएसई कोऑर्डिनेटर एवं प्रधानाचार्या यूनिवर्सल कान्वेंट स्कूल।
सीबीएसई द्वारा दसवीं के विद्यार्थियों के लिए पुन: पुरानी बोर्ड परीक्षा करने से शिक्षा प्रणाली में अच्छा सुधार होगा। छात्र-छात्राओं में सर्वोच्च स्थान पाने के लिए प्रतिस्पर्धा की भावना भी मजबूत होगी।
– प्रवींद्र कुमार रौतेला, प्रधानाचार्य सिंथिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल।
सीबीएसई ने दसवीं में बोर्ड परीक्षा प्रणाली में बदलाव कर अच्छा काम किया है। बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले छात्र को कम से कम अपने अंकों की सही-सही जानकारी तो हो सकेगी।
– आलोक जोशी, अभिभावक।
स्कूलों में दसवीं की होम बोर्ड परीक्षा होने से बच्चों में बोर्ड परीक्षा की तरह मेहनत करने की आदत सी खत्म हो रही थी। बोर्ड परीक्षा लागू होने तथा शिक्षा प्रणाली में बदलाव से बच्चों में खुशी है।
– देवेंद्र राणा, अभिभावक।