लखनऊ: राज्यपाल राम नाईक ने मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में उमा-हरिकृष्ण अवस्थी सभागार का उद्घाटन किया तथा सभागार स्थित पूर्व कुलपति प्रो. हरिकृष्ण अवस्थी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी आदरांजलि अर्पित की। सभागार का नामकरण लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकृष्ण अवस्थी एवं उनकी पत्नी उमा अवस्थी के नाम पर किया गया है। इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि वह लखनऊ विश्वविद्यालय के अनेक कार्यक्रमों एवं उद्घाटन समारोह में आ चुके हैं, लेकिन आज के कार्यक्रम की कुछ विशेषता है, जैसे भगवान राम के नाम के पहले सीता का नाम तथा श्रीकृष्ण के नाम के पहले राधा के नाम का कुछ अलग आनन्द है उसी प्रकार आज सभागार का नाम उमा-हरिकृष्ण अवस्थी रखा गया है। उन्होंने कहा कि प्रो. अवस्थी ने अपने कार्यकाल में विश्वविद्यालय से कुलपति के तौर पर कोई मानदेय नहीं लिया। परिजनों द्वारा सभागार के निर्माण कार्य का व्यय उठाना अपने आप में एक संदेश है। उन्होंने कहा कि परिजनों की कृति वास्तव में सराहनीय है।
नाईक ने कहा कि इस बात का अनुभव बहुत कम मिलता है कि प्रो. अवस्थी लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र रहे, छात्रसंघ के निर्विरोध अध्यक्ष रहे फिर विश्वविद्यालय में शिक्षक बने और बाद में कुलपति भी रहे। उनके जीवन का लम्बा समय लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ जुड़ा रहा। वह 36 वर्षों तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी रहे जो अपने आप में एक मिसाल है। राज्यपाल ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा प्रो. अवस्थी की एक शिक्षक तथा प्रशासक के रूप में उच्चकोटि की काबिलियत को देखते हुये लखनऊ विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त करने के लिये विशेष आग्रह किया गया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, छात्र-छात्रायें एवं कर्मचारीगण संकल्प लेकर विश्वविद्यालय को और आगे बढ़ाने का संकल्प लें, यही प्रो. अवस्थी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस मौके पर सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा में कहा कि स्व. प्रो. हरिकृष्ण अवस्थी के जीवन को भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रो. अवस्थी ने आजीवन परोपकार और दूसरों को आगे बढ़ाने का काम किया है। इससे पहले कार्यक्रम में कुलपति प्रो. एस.पी. सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा पूर्व अधिष्ठाता प्रो. डी.पी. सिंह ने भी अपने विचार रखे।