सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में बनभूलपुरा में 60 घंटे तक लगातार चले धरने के बाद अब बुद्ध पार्क में 72 घंटे का सत्याग्रह चल रहा है। संविधान बचाओ मंच के बैनर तले शुरू हुए धरने में माले, कांग्रेस, किसान महासभा, डॉ. अंबेडकर मिशन, समाजवादी पार्टी समेत कई संगठनों से जुड़े लेगा शामिल हुए। नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए शनिवार सुबह 11 बजे बुद्ध पार्क में धरने की शुरुआत संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठ से की गई।
माले के राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि देश में सीएए और एनआरसी के विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार को तत्काल फैसला वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई संविधान और लोकतंत्र बचाने की है। जनकवि बल्ली सिंह चीमा ने कहा कि इस दौर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जिस तरह से अंकुश लगाने की कोशिशें की जा रही हैं, वह आपातकाल की याद दिलाती है।
गीत भी गाए गए
जनता के पक्ष में खड़े होकर आवाज उठाने वाले कवि, लेखक, पत्रकारों बुद्धिजीवियों, प्रोफेसरों, कलाकारों और छात्रों को देशद्रोही घोषित किया जा रहा है। केंद्र सरकार का प्रतिकार करना हर बुद्धिजीवी, लेखक व भारतीय नागरिक का कर्तव्य बन गया है।
इंदिरानगर बड़ी मस्जिद के इमाम मौलाना सैय्यद इरफान रसूल ने कहा कि केंद्र सरकार देश में विभाजनकारी माहौल उत्पन्न कर देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर चोट कर रही है। अंजू राज ने कहा कि केंद्र सरकार फूट डालो और राज करो की नीति पर चल रही है। बसंत कुमार ने कहा कि अधिकांश जनता सीएए के समर्थन में नहीं है।
धरने को कांग्रेस नेता राहुल छिम्वाल, अब्दुल मतीन सिद्दीकी, हेमंत साहू, हेमंत बगड़वाल, शकील सलमानी, मुफ्ती शाहिद रजा जमाल, नफीस अहमद खान आदि ने भी संबोधित किया। वक्ताओं ने सीएम त्रिवेन्द्र रावत द्वारा आंदोलन में बाहरी लोगों का हाथ होने वाले बयान की तीखी आलोचना की। आरोप लगाया कि भाजपा जन समस्याओं के समाधान की जगह हर मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास करती है। कार्यक्रम का संचालन शकील अंसारी और कैलाश पांडे ने किया।
धरनास्थल पर जनकवि बल्ली सिंह चीमा ने घर-घर पहुंचा बाबा साहेब का संविधान और भगत सिंह का पैगाम, जय भीम-जय लाल सलाम समेत अन्य रचनाएं सुनाईं।