दिल्ली के मुंगेशपुर नाले के किनारे बसे गांवों में लोग सब्जी नहीं जहर की खेती कर रहे हैं। यह जानते हुए भी कि सिंचाई के लिए जिस पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है उसमें कारखानों से निकलने वाले जहरीले रसायन मिलते हैं, किसान उसी पानी का उपयोग करने को विवश हैं। मुंगेशपुर नाले में बहने वाला पानी दिखने में सुर्ख लाल रंग का है, जिसका इस्तेमाल वाकई जान के साथ खिलवाड़ है। किसानों का कहना है कि रसायनिक पदार्थों का जहरीला मिश्रण रसायनिक खाद का काम करता है, जिससे कीटनाशक और यूरीया पर कर्च होने वाले पैसे बच जाते हैं। इसके अलावा किसानों का दावा है कि बीते कुछ सालों में इलाके में पानी का स्तर तेजी से नीचे गया है। इस वजह से भी लोग प्रदूषित पानी का उपयोग करने को मजबूर हैं।
इस पानी के प्रयोग से पिछले दस सालों में आसपास के गांव में कैंसर के मरीजों की संख्या में भी भारी बढ़ोत्तरी हुई है। यह जानते हुए भी कि जिन सब्जियों की खेती हो रही है, वो स्वास्थ्य के लिए हानीकारक हैं, यहां के किसान ऐसी ही खेती करने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
यह नाला नजफगढ़ नाले से जुड़ते हुए यमुना में जाकर मिलता है, जिससे इसके जहरीले पानी का असर यमुना नदी के पानी पर भी होता है।