उत्तराखंड के सार्वजनिक उपक्रम, निगम व पंचायतों में तैनात 70 हजार से अधिक कर्मचारी अभी भी सातवें वेतनमान से महरूम हैं। अभी तक निगमों के अधिकारियों ने शासन को संस्तुति नहीं भेजी।
देहरादून: प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रम, निगम व पंचायतों में तैनात 70 हजार से अधिक कर्मचारी अभी भी सातवें वेतनमान से महरूम हैं। समिति की हरी झंडी के बावजूद अभी तक संबंधित विभागों ने इसकी संस्तुति शासन को नहीं भेजी है। इसे देखते हुए अपर सचिव औद्योगिक विकास डॉ. आर राजेश कुमार ने सभी विभागों को पत्र लिखकर संबंधित निगम व उपक्रमों के निदेशक व बोर्ड की संस्तुति प्राप्त कर शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में तमाम सरकारी विभागों में सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया जा चुका है। इन्हें पाने वाले अधिकारी विभिन्न निगम, सार्वजनिक उपक्रमों में निदेशक व चेयरमैन का पद संभाल रहे हैं। बावजूद इसके इन अधिकारियों ने अभी तक निगमों में तैनात सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतनमान देने की संस्तुति शासन को नहीं भेजी है।
दरअसल, सरकार ने 27 दिसंबर को सभी सार्वजनिक उपक्रमों व निगमों में तैनात कर्मचारियों को सातवें वेतनमान की संस्तुति लागू किए जाने का निर्णय लिया था। इन्हें कर्मचारियों को सातवां वेतन अपने संसाधनों से देना है।
इस क्रम में शासन ने सभी सार्वजनिक निगम व उपक्रमों के अपर मुख्य सचिव, सचिव, प्रभारी सचिवों को पत्र लिखकर विभागीय संस्तुति सहित प्रस्ताव सार्वजनिक उद्यम विभाग को देने का अनुरोध किया था। डेढ़ माह गुजर जाने के बावजूद निगमों व सार्वजनिक उपक्रमों से शासन को इसका प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।
इसे लेकर अब निगम कर्मचारियों में रोष बढ़ता जा रहा है। निगम महासंघ के महासचिव रवि पचौरी का कहना है कि शासनादेश के दो माह गुजर जाने के बावजूद आदेशों की अवेहलना की जा रही है। इससे कर्मचारियों में निराशा व आक्रोश है। अधिकारियों की यही शैली कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर करती है।