वर्ष 2012 में घटी इस दर्दनाक घटना ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। वहीं सबकी निगाहें अपराधियों को खोज निकालने और उन्हें सख्त से सख्त सजा दिए जाने की और लगी थीं। हर कोई पीड़िता के लिए न्याय चाहता था। दिल्ली पुलिस ने इस केस को हल करने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। दक्षिणी दिल्ली की तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा, जिन्होंने इस केस की प्रमुखता से जांच की थी, के मुताबिक यह पीड़िता की ताकत और दृढ़ विश्वास ही था कि हम केस को इसके सही अंत तक ले आए। प्रत्येक अदालती कार्रवाई के दौरान बेहतर कार्य के लिए हमें सराहा गया। उनके मुताबिक यह हमारे कठिन परिश्रम का ही नतीजा था कि इस केस को हम इस पड़ाव तक लेकर आए। छाया अब नेशनल ह्यूमन राइट्स की डीआईजी हैं।
सीसीटीवी फुटेज ने की मदद
इस मामले की जांच में शामिल एक और पुलिस अधिकारी (इंस्पेक्टर) अनिल शर्मा के मुताबिक निर्भया के माता-पिता की आंखों में जो विश्वास पुलिस और न्याय के प्रति दिखता रहा, उसी की वजह से हमने एकसाथ मिलकर इस लंबी लड़ाई लड़ी। अदालत के निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि पुलिस ने कितने विस्तार से तहकीकात की है।
वसंत विहार थाने के तत्कालीन एसएचओ बताते हैं कि इस घटना के अगले ही दिन ही इस केस में हमें एक बड़ा सुराग हाथ लगा था। जब महिपालपुर के एक होटल की सीसीटीवी फुटेज से एक संदिग्ध वाहन दिखा जिस पर यादव लिखा था। जिसके बाद दिल्ली पुलिस पूरी गंभीरता से इसकी छानबीन में लग गई।
इस केस में निर्भया के माता-पिता ही नहीं बल्कि पूरे देश को उम्मीदें थी कि दोषियों को जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा मिले। और ऐसा हुआ भी लेकिन केस को इस नतीजे पर पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई दिल्ली पुलिस ने, जिसके कठिन परिश्रम के बाद पूरे देश को शर्मसार कर देने वाली इस घटना की सभी परतें तह-दर-तह खुलती चली गईं।