नॉर्थ-ईस्ट डीसी ऑफिस में प्लास्टिक आधार कार्ड बनाने का खेल!
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में यूनिक आइडेंटिटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई)के नियमों की सरकारी अधिकारियों की नाक के नीचे सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। यूआईडीएआई की चेतवानी के बाद भी राजधानी के कई हिस्सों में प्लास्टिक के आधार कार्ड बनाने का काम जारी है। यमुनापार के उत्तर-पूर्व जिला के उपायुक्त कार्यालय में स्थित आधार कार्ड सेन्टर में खुलेआम उक्त नियमों को ताक पर रखकर लोगों के प्लास्टिक आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं और पुराने पेपर आधार कार्डों को प्लास्टिक में तब्दील किया जा रहा है। इसके लिए बकायदा लोगों से चालीस रुपए वसूले जा रहे हैं। नूरी नामक महिला ने बताया कि उसने अपना आधार कार्ड प्लास्टिक में बनवाया है। इसके लिए उसने 40 रुपए दिए हैं।
उन्होंने बताया कि आधार कार्ड सेन्टर के कर्मचारियों ने प्लास्टिक कार्ड को स्मार्ट कार्ड बताते हुए इसे ज्यादा सुरक्षित बताया था जिसके चलते उन्होंने यह कार्ड बनवाया। जब इस बारे में कार्ड बनाने वाले लोगों से पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। वहां प्लास्टिक कार्ड बनवाने के लिए आए अन्य लोगों ने भी इस बारे में जानकारी से इनकार किया। वहां मौजूद सुरेश ने कहा कि उन्हें यूआईडीएआई द्वारा प्लास्टिक आधार कार्ड के संबंध में जारी चेतावनी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वे केवल ज्यादा सुरक्षित होने के चलते यह कार्ड बनवाने यहां आये हैं।
इस मामले की जानकारी मिलते ही उपायुक्त कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तुरंत इस पर कार्रवाई के आदेश दिए। नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि उन्हें आधार अथॉरिटी के इस आदेश की जानकारी नहीं थी। उन्होंने इस प्रैक्टिस को गलत बताते हुए कहा कि यह एक निजी सेन्टर है, लेकिन सेन्टर के कर्मचारियों को बुलाकर तुरंत इस प्रैक्टिस को रोकने के लिए कहा जाएगा। यूआईडीएआई ने गत जनवरी में एक चेतवानी जारी कर स्मार्ट कार्ड या प्लास्टिक स्मार्ट कार्ड के कॉन्सेप्ट को पूरी तरह गलत बताया था। स्वयं यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडेय ने एक बयान जारी कर कहा था कि अथॉरिटी में प्लास्टिक आधार कार्ड या स्मार्ट कार्ड बनाने जैसा कोई कॉन्सेप्ट नहीं है। लोगों के लिए केवल साधारण पेपर पर प्रिंट किया हुआ आधार कार्ड की वैध है। यह हर काम के लिए कानूनी रूप से मान्य है। ज्यादा पैसे खर्च करके प्लास्टिक कार्ड या स्मार्ट कार्ड बनवाना सही नहीं है। अथॉरिटी ने इसे बनवाने के कोई निर्देश नहीं दिए हैं।