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नौकरी के साथ की पढ़ाई, आज UP पुलिस का ये कांस्टेबल बना PCS

यूपी पुलिस में 14 साल कांस्टेबल के पद पर कार्यरत श्याम बाबू ने पीसीएस-2016 परीक्षा पास कर एक मिसाल कायम की है. उन्होंने दिखा दिया अगर व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प और कठोर परिश्रम की भावना है तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे कुछ भी हासिल करने से नहीं रोक सकती है. उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव बलिया में जन्मे श्याम बाबू ने नौकरी दौरान पीसीएस परीक्षा की तैयारी की साथ ही परीक्षा में सफल भी हुए. वह आज उन युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. Aajtak.in से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने ये परीक्षा पास की.

नहीं था पीसीएस बनने का प्लान: श्याम बाबू ने बताया की पीसीएस बनने की कोई प्लानिंग नहीं की थी. साल 2005 में जब वह 19 साल के थे तब उनका चयन कांस्टेबल के पद पर हो गया था. बता दें, वर्तमान में वह प्रयागराज हेडक्वार्टर में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि कांस्टेबल के पद पर नौकरी करने के दौरा हमेशा कुछ और बेहतर करने का ख्याल आता था. जिसके बाद तमाम प्रतियोगी परीक्षा के लिए फॉर्म भरता था. उन्होंने बताया बाद में साल साल 2012 से 2013 में पीसीएस बनने के लिए गंभीर रूप से तैयारी शुरू कर दी. आज नतीजा आप सभी के सामने हैं.

नौकरी के दौरान तैयारी: श्याम बाबू ने बताया पीसीएस की तैयारी के लिए किसी भी तरह का कोचिंग सेंटर का सहारा नहीं लिया है. ‘मैं सेल्फ स्टडी करता था’. उन्होंने कहा- “पुलिस की नौकरी का कोई तय समय नहीं है, ये ऐसी नौकरी है इसमें आपसे किसी भी समय काम लिया जा सकता है. कभी रात में भी ड्यूटी लग जाती थी, ऐसे में तैयारी के लिए समय निकाल पाना सबसे बड़ी चुनौती थी. कोशिश रहती थी कि 5-6 घंटे तैयारी के लिए मिल जाएं”. वहीं मैंने पीसीएस बनने का संकल्प ले लिया था, लिहाजा मैं कोशिश करता था कि 2 घंटे कम नींद मिले, ताकि 2 घंटे ज्यादा पढ़ सकूं. बता दें, श्याम बाबू ने साल 2017 में नेट की परीक्षा इतिहास विषय में पास की है.

परिवार के बारे में: श्याम बाबू का जन्म यूपी के बलिया गांव में 10 अक्टूबर 1985 को हुआ था. उनके पिता गांव में जनरल स्टोर की एक छोटी सी दुकान चला हैं. माता गृहणी हैं. वह 5 बहनें और दो भाई है. जिसमें से वह सबसे छोटे हैं. उनकी इस उपलब्धि पर उनका परिवार खुशी से फूला नहीं समा रहा है. श्याम बाबू ने बताया कि आज मैं जो कुछ भी कर पाया हूं उसके पीछे मेरे माता-पिता का आशीर्वाद है. “मेरे पिताजी ने कभी मुझे मौखिक रूप से कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं उनके कर्तव्यों ने मुझे हमेशा मोटिवेट किया है. संघर्ष कर उन्होंने हमारा पालन- पोषण किया है.

युवाओं के लिए संदेश: श्याम बाबू के सहयोगी उनकी इस उपलब्धि पर काफी खुश है. उन्होंने बताया जो भी सहयोगी मेरे साथ काम करते हैं उनका मुझे शुरू से ही सपोर्ट मिला है. खास तौर पर परीक्षा के दौरान सभी का अच्छा सहयोग मिलता था. वहीं उन्होंने उन युवाओं को संदेश दिया जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन्होंने कहा- आप जीवन में आप जो कुछ आप करना चाहते हैं उसके लिए एक निर्णय लें और खुद में विश्वास रखें. सफलता आपके कदम चूमेंगी.

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