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पंचायत चुनावः प्रधान बनने के लिए छोड़ना पड़ेगा ये काम

दस्तक टाइम्स/एजेंसी-हिमाचल प्रदेशpanchayat-shimla-562653d77cec3_exlst:
ठेकेदार एक ही शर्त पर प्रधान बन सकेंगे। पंचायत प्रधान बनने के बाद उन्हें तुरंत ठेकेदारी छोड़नी पड़ेगी। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उन लोगों की प्रधानी जाएगी। यही नहीं, प्रधान न तो खुद पंचायत में काम करेंगे और न ही अपने परिवार में भी किसी भी सदस्य को पंचायत के कार्य का ठेका दे सकते हैं। पंचायत के कार्य दूसरे लोगों से करवाने होंगे।

पंचायतीराज विभाग ने यह व्यवस्था इसलिए की है कि पंचायतों में अधिकांश प्रधान या तो खुद या फिर अपने चहेतों को काम देते हैं। ऐसे में पंचायत कार्यों में गुणवत्ता नहीं आ रही है। यह इसलिए भी कि जब प्रधान खुद काम कर रहा है या फिर अपने परिवार के सदस्यों को काम देता है तो उनका कार्य की गुणवत्ता पर कम ध्यान जाता है।

 

इससे कार्य ठीक नहीं हो रहे है। अधिकांश पंचायतों में कई काम ऐसे हुए हैं, जो साल पहले किए गए थे और अब उन कार्यों को नए सिरे से करना पड़ रहा है। प्रधान सिर्फ पंचायत में हो रहे कार्यों की समीक्षा और चेकिंग करेंगे।

ऑनलाइन टेंडर की होगी व्यवस्था
पंचायत में कोई भी कार्य करने के लिए पहले मामला जनसभा में जाएगा। यहां से अनुमति मिलने के बाद प्रस्ताव जिला कमेटी को जाएगा। यहां से फाइनल अप्रूव के बाद विकास कार्य के टेंडर किए जाएंगे। ये टेंडर ऑनलाइन भी कराए जा सकते हैं।

पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा का कहना है कि अगर कोई ठेकेदार पंचायत चुनाव जीतता है तो उसे तुरंत ठेकेदारी छोड़नी पड़ेगी। प्रधान के परिवार के सदस्य भी पंचायत का काम नहीं कर सकेंगे। इससे कार्यों में गुणवत्ता आएगी।

हिमाचल में पंचायत पुनर्सीमांकन पर विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग सरकार के दबाव में आकर चहेतों को फायदा पहुंचाने का काम कर रहा है। हाईकोर्ट ने चुनाव की तिथि के 120 दिन पहले पंचायत पुनर्सीमांकन को खारिज करने का फैसला सुनाया है।

अब राज्य चुनाव आयुक्त की ओर से नियमों में बदलाव करना आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। भाजपा इस फैसले के खिलाफ केंद्रीय चुनाव आयोग सहित सभी उपयुक्त मंचों पर विरोध दर्ज करवाएगी। कहा कि कांग्रेस सरकार ने चुनाव आयोग का सहारा लिया है।

भले ही चुनाव आयोग के पास पूर्व में जारी अधिसूचना में बदलाव करने का अधिकार हो, लेकिन अपनी निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए आयोग को पार्टी विशेष को फायदा पहुंचाने वाले इस निर्णय से बचना चाहिए था। विशेषकर उन परिस्थितियों में, जब हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की अधिसूचना के आधार पर ही पंचायतों के पुनर्सीमांकन पर रोक लगाई थी। आयोग को चाहिए था कि वह सर्वदलीय बैठक के पश्चात इस तरह के निर्णयों में संशोधन करता।

भाजपा नेताओं ने कहा कि सरकार, मंत्रालय और विभाग में चल रही तनातनी में पंचायत चुनावों को मजाक बनाकर रख दिया है। मंत्रालय और विभाग की लचर कार्यप्रणाली से अभी तक आरक्षण रोस्टर जारी नहीं हुए हैं। भाजपा नेताओं ने कहा कि पंचायतीराज मंत्री स्पष्ट करें कि जब सारा देश डिजीटल होने की तरफ बढ़ रहा है तो किन कारणों से आरक्षण रोस्टर को लेकर बने सॉफ्टवेयर को कैबिनेट ने रिजेक्ट किया?

कहा कि जिला, ब्लॉक स्तर पर आरक्षण रोस्टर पर सत्ताधारियों के हस्तक्षेप तथा गड़बड़ी की सूचनाएं लगातार पार्टी के पास आ रही हैं। आरक्षण रोस्टर जारी होने के पश्चात अगर इन तथ्यों में सत्यता पाई जाती है तो भाजपा जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से कानूनी कार्यवाही करेगी।

 

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