दिल्ली

पटाखों पर SC के बैन का लोगों ने निकाला तोड़, यहां धड़ल्ले से हो रही है बिक्री

दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के मौके पर प्रदूषण नियंत्रण के मद्देनजर पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद चाईनीज ई-पटाखों से बाजार गर्म है। पटाखों पर रोक के कारण भारतीय बाजार में इन पटाखों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
पटाखों पर SC के बैन का लोगों ने निकाला तोड़, यहां धड़ल्ले से हो रही है बिक्रीई-पटाखों की बढ़ती मांग से जाहिर है कि लोग दीपावाली पर पटाखे चलाने की परम्परा को लेकर काफी संजीदा हैं। ई-पटाखों की खरीदारी के लिए दिल्ली के बाजारों में पटाखा प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इन पटाखों की खासियत यह है कि ये बिजली के प्रयोग से चलाए जाने वाले पटाखे हैं, जिन्हें एक वायरलैस रिमोट कंट्रोल के जरिए चलाया जाता है।  

पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद अस्तित्व में आए ई-पटाखों की यह नई तकनीक है। हालांकि इससे पहले भी ई-पटाखे बाजारों में बिक्री के लिए मौजूद थे, लेकिन उनकी तकनीक पुरानी और बेहद साधारण थी, जिसके चलते इससे पहले बाजार में ई-पटाखों का चलन ना के बराबर ही था।  

लालकिला स्थित भागीरथ पैलेस मार्केट में दीपावाली के मद्देनजर नई तकनीक से तैयार ई-पटाखों की बिक्री तेजी से हो रही है। इस मार्केट में ई-पटाखा खरीद रहे वरुण शर्मा ने बताया कि ई-पटाखे काफी खास हैं। उन्होंने बताया कि इनके प्रयोग से न तो आग लगने का खतरा होता है और न ही बच्चों द्वारा चलाने पर कोई खतरा होने की संभावना है। सबसे खास बात यह है कि इन पटाखों के प्रयोग से प्रदूषण भी नहीं फैलता।

हालांकि ई-पटाखे दिखने में बारूद वाले पटाखों की लड़ी जैसे ही दिखते हैं, लेकिन फटते नहीं। उधर दूसरी ओर कामकाजी महिला अर्चना साह अग्रवाल ने बताया कि दीपावाली के मौके पर उनके घर में पटाखे चलाने की परम्परा है और पटाखों की ब्रिकी बंद हो जाने से उनके बच्चों के  लिए ई-पटाखे बेहतर विकल्प साबित हो रहे हैं।

इस बार ई-पटाखे चलाने का उनका अनुभव बिल्कुल नया होगा। हालांकि ये पटाखे बारूद वाले पटाखों की तुलना में महंगे जरूर हैं, लेकिन सबसे बड़े त्योहार पर इन पटाखों की खरीदारी से उनके बजट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।  

​क्या हैं ई-पटाखे 

ई-पटाखे यानि प्रदूषण रहित ऐसे पटाखे जिनका प्रयोग बिजली के जरिये होता है। इन पटाखों की खासियत यह है कि इन्हें एक माचिस बॉक्स से थोड़े से बड़े आकार के वायरलैस रिमोट कंट्रोल से चलाया जाता है।

इन पटाखों के चलाने के लिए किसी तरह की दूरी बनाने की आवश्यकता नहीं होती। इनका आकार दिखने में एक सूतली में बंधे बारूद वाले मोटे बम की लड़ियों जैसा है, जो दिखने के स्काईशॉट जैसे भी हैं।

ई-पटाखों में तेज आवाज करने वाले स्पीकर लगे हैं, जिनमें बिजली के छोटे सर्किट डिवाइस के प्रचालन से धमाके की आवाज पैदा होती है। इनके प्रयोग से किसी तरह की चिंगारी या आग नहीं लगती। 

महंगे फिर भी बाजार में मांग तेज 
भागीरथ पैलेस मार्केट में ई-पटाखा विक्रेता प्रवीण कुमार राणा ने बताया कि आम पटाखों की ब्रिकी बंद होने के बाद से ई-पटाखों की ब्रिकी तेज हुई है। उन्होंने बताया कि रोजाना काफी स्टॉक बिक रहा है।

इन पटाखों के एक सैट की कीमत 1500 रुपए है, जो थोड़ी महंगी जरूर है, लेकिन ग्राहकों के पास कोई और विकल्प न होने के कारण ई-पटाखों की मांग बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि इससे पहले मार्केट में जो ई-पटाखे मौजूद थे उन्हें रिमोट से कंट्रोल नहीं किया जा सकता था और उनसे एक बार में सिर्फ एक ही छोटा धमाका होता था, लेकिन इन पटाखों को एक रिमोट से बिना किसी अंतराल के कई बार लगातार चलाया जा सकता है। इनके प्रयोग के लिए ई-पटाखा लड़ी की प्लग सॉकेट में लगाना पड़ता है।

 

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