परशुराम ने इस स्थान पर की थी कठोर तपस्या, फरसे के प्रहार से किया था शिव मंदिर का निर्माण
हमारे वेदों, पुराणों व ग्रंथो में लिखी सारी बातो को कोई भी व्यक्ति व वैज्ञानिक झुटला नहीं सकता। क्योंकि ऐसे कई सबूत मिलते है, जो हमारे वेदों, पुराणों व ग्रंथो में लिखी बातो को सच साबित करती है। ऐसा ही एक प्रमाण आज हम आपको बताने जा रहे है। पुराणों की माने तो भगवान परशुराम एक महान तपस्वी और भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार वे आज भी इसी पृथ्वी पर कहीं तपस्या में लीन हैं।
आज हम आपको एक ऐसा ही रहस्य बताने जा रहे है, जिसकी प्रमाणिकता राजस्थान में उपस्थित एक मंदिर से स्पष्ट होता है, जिसका सीधा संबंध भगवान परशुराम से है। मान्यता है कि अरावली पहाड़ियों की गुफा में भगवान परशुराम ने सवयं अपने फरसे से महादेव के मंदिर का निर्माण किया था। उन्होंने चट्टान को अपने फरसे से काटा और गुफा के अंदर भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया। इस मंदिर में एक शिवलिंग है, जो यहाँ स्वतः ही उत्पन्न हुआ था और यह भी माना जाता है कि कई वर्षों तक यहां भगवान परशुराम ने तपस्या भी की थी।
लोगो का मानना है कि यहां की गई तपस्या से भगवान शिव परशुराम से खुश होकर वह परशुराम को धनुष और अक्षय तरकश दिया। उस तरकश के बाण कभी खत्म नहीं होते थे और धनुष हमेशा अचूक निशाना लगाता था और यहीं पर उन्हें अपना प्रसिद्ध फरसा भी प्राप्त हुआ था। यह पूरी गुफा एक चट्टान पर बनी है तथा वहा एक गुफा है उस गुफा के अन्दर एक राक्षस का प्रतिबिम्ब बनी है। मान्यता है कि पशुराम जी ने इस राक्षस का वध किया था। जिसे आज अमरनाथ धाम कहते है। यह पर भगवान शिव का वास है, यह स्थान कश्मीर में स्थित है। माना जाता है भगवान शिव यह स्वयं वास करते है।
राजस्थान के राजसमंद व पाली जिले में प्रसिद्ध पशुराम महादेव मंदिर है। गुफा राजसमंद जिले में से एक गुफा बना हुआ है। यहा पर स्थित मंदिर के शिवलिंग पर पानी डालने से इसमे पानी अवसोसित हो जाता है, किन्तु जल के स्थान पर दुग्ध चढ़ाने पर दुग्ध अवसोसित नही होता है। आज भी यह एक रहस्य है। यह एक प्रसिद्ध मंदिर है और श्रावण मास में यहां मेला लगता है जिसमे श्रद्धालु भगवान शिव और भगवान पशुराम के दर्शन करने आते है।