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परीक्षा के लिए कैंसर रोग जैसा है नकल -राज्यपाल
डा अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह सम्पन्न
लखनऊ : प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि स्पर्धा के दौर में कड़ी मेहनत, प्रमाणिकता और पारदर्शिता से जीवन का लक्ष्य प्राप्त करें। जीवन की कठिनाई से हारे नहीं। असफलता आती है तो आत्म निरीक्षण करें, कमी को दूर करके फिर से आगे बढ़ें। परिश्रम से सफलता मिलती है। सफलता प्राप्त करने के लिए निरन्तर चलते रहें। नया ज्ञान अर्जित करके विश्व स्तर की स्पर्धा में अपना स्थान बनायें। उन्होंने कहा कि अपने माता-पिता और गुरूओं को सदैव याद रखें जिन्होंने शिक्षित करके आपके पंखों को ताकत दी है। राज्यपाल आज इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित डा अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ के 15वें दीक्षांत समारोह में अध्यक्ष के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो0 अनिल डी0 सहस्रबुद्धे, प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, कुलपति प्रो0 विनय पाठक सहित कार्य परिषद, विद्धत परिषद, शिक्षकगण, छात्र-छात्रायें एवं उनके परिजन उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर पीएच0डी0, विश्वविद्यालय के स्नातक एवं परास्नातक छात्रों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक तथा उपाधि प्रदान की।
श्री नाईक ने इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति डाॅ0 कलाम का स्मरण करते हुए कहा कि वे अपने जीवन के अंतिम क्षण तक छात्रों को उद्बोधन देते रहे। राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह में 59,211 उपाधियाँ वितरित की गई जिनमें 77 प्रतिशत अर्थात् 45,327 छात्र हैं और 23 प्रतिशत अर्थात् 13,884 छात्राएं हैं। कुल 64 पदकों में 30 पदक अर्थात 47 प्रतिशत छात्रों को पदक मिले है तथा 34 पदक अर्थात् 53 प्रतिशत छात्राओं को मिले हैं। लड़कियों का प्रदर्शन अच्छा रहा है इसलिए प्राविधिक शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक लड़कियों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि नकल परीक्षा के लिए कैंसर रोग जैसा है, नकल विहीन परीक्षा कराना विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है। मुख्य अतिथि प्रो0 अनिल डी0 सहस्रबुद्धे ने उपाधि धारक छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि ज्ञान अर्जित करने का सिलसिला जारी रखें। देश बदल रहा है, हम सबको बदलना है। असफलताओं से घबरायें नहीं। नया सीखने व करने का प्रयास करें। देश में प्रतिभा की कमी नहीं है। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति से प्रेरणा लेते हुए आधुनिक ज्ञान एवं तकनीक को समाज की बेहतरी के लिए प्रयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि समाज से जो कुछ लिया है उससे ज्यादा समाज को देने का प्रयास करें।
प्रो0 सहस्रबुद्धे ने कहा कि आजादी के समय हम तकनीकी ज्ञान के लिए दूसरे देशों पर निर्भर थे। वर्तमान भारत सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी है। पूरे विश्व का ध्यान भारत की सूचना प्रौद्योगिकी की ओर है। मोबाइल एप्स के जरिये हमारे छात्र-छात्राओं ने अपने काॅलेज के समय अनेक महत्वपूर्ण आविष्कार किये हैं जैसे घरों में प्रयोग होने वाले विद्युत उपकरणों को खोलना एवं बंद करना आदि। उन्होंने कहा कि हमें परिमाण के साथ-साथ गुणवत्ता का भी ध्यान रखना होगा। प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टण्डन ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति को निपुण बनाती है। निपुणता का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए करें। माता-पिता एवं गुरू के योगदान को याद रखें। उन्होंने कहा कि सरकार गुणवत्तापरक शिक्षा और व्यवस्था सुधारने के प्रति संकल्पबद्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षित युवाओं को रोजगार दिलाने की दृष्टि से रोजगार मेला भी आयोजित कराया जा रहा है। इस अवसर पर कुलपति प्रो0 विनय पाठक ने विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की।