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पर्यटकों को अब कब्रों की सैर कराएगा उत्तराखंड टूरिज़्म

tombs-1-565ab62b26294_lउत्तराखंड पर्यटन विभाग अब शीघ्र ही यहां आने वाले पर्यटकोंं को कब्रों की सैर करा सकता है। इस तरह के पर्यटन को कई देशों में अच्छा रेस्पॉन्स मिला है। उत्तराखंड पर्यटन विभाग अनेक जाने- पहचाने लोगों का डेटा एकत्र कर रहा है, जिन्होंने पहाड़ों पर शरण ली और वहां उनकी मौत हो गई।

रिपोर्ट्स के मुताबिक जिनकी जानें गईं हैं, उनके परिजनों से संपर्क किया जाएगा। इतिहास  प्रेमियोंं और पर्यटकोंं के लिए व्यवस्था की जाएगी, जिससे वे उन लोगोंं की कब्रों को देख सकें।

इस मुहिम का नाम ‘नो यॉर रूटसÓ रखा गया है। इस पहल में उन ब्रिटिश नागरिकों की दास्तां बयान की जाएंगी जो कभी यहां रहते थे। उनमें से कई जाने-माने चेहरे थे, कुछ आजादी से पहले के भी लोग थे। जिनकी कब्रें उनके परिवारोंं को दिखाई जाएंगी।

कहा जा रहा है कि कब्र पर्यटन का यह विचार काफी महत्वपूर्ण है । इस तरह के पर्यटन को कई देशों में अच्छा रेस्पॉन्स मिला है। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के अडिशनल डायरेक्टर ए. के. द्विवेदी ने बताया कि ब्रिटेन, फ्रांस, न्यूजीलैंड जैसे देशों में इस तरह का पर्यटन खासा लोकप्रिय है।

  द्विवेदी ने बताया कि आजादी से पहले यहां हजारों ब्रिटिश नागरिक रहते थे, जॉन लेंग जैसे दिग्गज लोगों की कब्रें यहां हैं। उन्होंने बताया कि देहरादून, मंसूरी, चंपावत जैसी कई जगहों पर इनकी कब्रें हैं। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप साहनी भी इस प्रॉजेक्ट से जुड़ेे हुए हैं।

 संदीप कहते हैं कि इस प्रॉजेक्ट पर बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है, क्योंकि कब्रों को पहले ही अच्छे से रखा गया है। प्रॉजेक्ट के कॉरपोरेट कंसल्टेंट पंकज शाह का कहना है कि राज दौर के ब्रिटिश नागरिक आर्मी का हिस्सा थे।

 उनकी कब्रें रानीखेत केंट क्षेत्र में हैं। वह बताते हैं कि उनके परिजनों, रिश्तेदारोंं को विजिट करवाने के लिए आर्मी से भी परमिशन ले ली है।

 

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