जीवनशैली

पवित्र श्रावण मास में क्यों पहने जाते हैं हरे कपड़े और हरी चूड़ियां, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण


हरा रंग ऐसा होता है जो आंखों से होते हुए मन को सुकून देता है। लहलहाती हरियाली फसल देख कर किसान खुश होता है तो हरी साड़ियां और चूड़ियां पहनकर महिलाएं भी सितम ढाती हैं। हरा रंग आंखों को हमेशा सुकून देता है। सावन के महीने में तो पूरी प्रकृति ही हरियाली की चादर ओढ़ लेती है। फिर भी इस महीने में महिलाएं प्रमुखता के साथ हरे रंग की चूड़ियां, वस्र धारण करती हैं। साथ ही हथेली और पैरों में मेंहदी रचाती हैं। दरअसल यह प्राचीन परंपरा की देन है जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण है। सावन का महीना प्रकृति के सौंदर्य का महीना कहा जाता है। शास्त्रों में स्त्री को भी प्रकृति का दर्जा दिया गया है क्योंकि महिलाएं भी जीवनदायिनी होती हैं।

सावन के महीने में कई त्योहार आते हैं, कज्जली तीज, हरियाली तीज और रक्षा बंधन। इन सभी त्योहारों पर महिलाएं मेंहदी लगाती हैं और अपने ऋंगार में हरी चूड़ियों, वस्र और बिंदियों का भी प्रयोग करती हैं। दरअसल इस श्रृंगार के पीछे प्रकृति से नाता झलकता है। हरे रंग को उर्वरा शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह प्रजनन क्षमता का भी प्रतीक है। मान्यता है कि सावन के महीने में मौसम के प्रभाव के कारण मनुष्य पर काम भाव हावी रहता है। वहीं, धार्मिक ग्रंथों में हरे रंग को बुध ग्रह का प्रतीक माना जाता है। हरा रंग धारण करने से बुध प्रबल होता है और संतान सुख की कामना पूरी होती है। इससे बुद्धि और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। ऐसा ज्योतिषशास्त्र की मान्यता कहती है। सावन के महीने में लगातार होती वर्षा और वातावरण में नमी के कारण कई तरह की बीमारियां फैलने लगती हैं। हरे रंग को स्वास्थ्य वर्धक रंग माना गया है। आयुर्वेद में इस रंग को कई तरह के रोगों के उपचार में कारगर माना गया है।

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