पहले CM आवास को गंगाजल से साफ कराया और अब योगी जी ने ‘हज हाउस’ का कर दिया ये हाल
शायद आपको याद हो कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने राजधानी के पांच कालीदास मार्ग पर स्थित मुख्यमंत्री आवास का गंगाजल से शुद्धिकरण कराया था। योगी आदित्यानाथ ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपना कार्यभार संभालने से पहले गोरखपुर से ब्राह्मणों को बुलाकर मुख्यमंत्री आवास के दरवाजों पर स्वास्तिक का निशान अंकित करवाया था और आवास के कमरों को गोमूत्र व गंगाजल से पवित्र करवाया था। योगी आदित्यनाथ के सीएम आवास में प्रवेश करने से पहले आवास में गोरक्षमठ की देशी गायों के 11 लीटर दूध से रूद्राभिषेक और हवन पूजन हुआ था।
गौरतलब है कि शपथ ग्रहण के बाद ही मुख्यमंत्री योगी ने सीएम आवास में रूद्राभिषेक और हवन पूजन के निर्देश दे दिए थे। अखिलेश के जाने के बाद मुख्यमंत्री आवास के इस तरह से शुद्धिकरण किये जाने पर काफी बवाल भी मचा और लोगों ने इसे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का अपमान भी बताया। लेकिन, योगी सरकार की ओर से कहा गया कि यह शुद्धिकरण का कार्य पूर्ववर्ती सरकार की नकारात्मकता बाहर निकलने के लिए किया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि बीजेपी का मुख्य एजेंडा सबका साथ, सबका विकास है, जो अखिलेश यादव की सरकार में देखने को नहीं मिला था।
योगी सरकार के इस फैसले से आज़म खान और ओवैसी जैसे मुस्लिम नेताओं की नीदें उड़ गई हैं। इस मामले पर यूपी के कैबिनेट मंत्री मोहसिन रजा ने मामला गंभीर होते देख कहा है कि, ‘भगवा रंग एनर्जी देता है और चमकीला है। इससे इमारतें खूबसूरत दिखाई देती हैं और विपक्ष के पास हमारे खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, इसलिए वह अब इसे मुद्दा बनाना चाहता है।’ गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए मुसलमानों को मिलने वाली हज सब्सिडी पर रोक लगा दी है।
सरकार की ओर से कहा गया है कि मुस्लिमों को मिलने वाली हज सब्सिडी को रोकने से सालाना 700 करोड़ रुपये बचेंगे और इस पैसे का इस्तेमाल अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा विशेषतौर पर लड़कियों की शिक्षा पर किया जाएगा। आपको बता दें कि हर वर्ष भारत से हजारों मुसलमान सऊदी अरब हज के लिए जाते हैं। हाजियों की यात्रा के खर्च का कुछ हिस्सा सरकार सब्सिडी के रूप में मुहैया कराती है। लेकिन, इस फैसले के बाद अब हज सब्सिडी को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ का हज आवास को भगवा रंग देने का फैसला मुस्लिम नेताओं को पच नही रहा है।