दस्तक-विशेषस्तम्भ

पाकिस्तान द्वारा गजनवी मिसाइल परीक्षण के मायने

अवधेश कुमार : पाकिस्तान द्वारा सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल गजनवी का सफलतापूर्वक रात्रि प्रशिक्षण परीक्षण कर देेने के एलान पर किसी को हैरत नहीं होना चाहिए। पाकिस्तान अपनी रणनीति के तहत इसे अवश्य एक बड़ी घटना मान रहा हो, पर दुनिया ने इसका संज्ञान तक नहीं लिया। इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक पाकिस्तानी सेना के मीडिया प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने जब यह घोषणा की कि कराची के पास सोनमियानी उड़ान परीक्षण केंद्र से परीक्षण किया जा चुका है तो उसे उम्मीद थी कि तुरत कुछ देशों की प्रतिक्रियायें आएंगी और फिर उसे आगे बढ़ने का मौका मिला।

भारत जिस तरह पहले से पाकिस्तान की जंग-जंग के राग तथा नाभिकीय युद्ध के खतरे को नजरअंदाज किया वैसे इस परीक्षण को भी। ध्यान रखने की बात है कि कश्मीर मुद्दे पर छटपटाते पाकिस्तान ने धमकी दिया था कि वह युद्ध की तैयारी करने की दृष्टि से बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण करेगा। पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने 28 अगस्त को कराची हवाई अड्डे के सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के 3 मार्गों को बंद कर दिया था। पाकिस्तान के सिविल एविएशन अथॉरिटी ने नोटिस टु एयरमेन (छव्ज्।ड) जारी करके बंदरगाहों को भी सतर्क रहने की सलाह दी थी। पाकिस्तान सरकार ने कहा था कि वह भारतीय उड़ानों के लिए देश के विमानन क्षेत्र के इस्तेमाल पर पूर्ण पाबंदी लगाने पर विचार कर रही है। पायलटों को कराची को पार करने के लिए वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल करने की सूचना भी पाक ने जारी की थी। प्राधिकरण ने ‘नोटिस टू एयरमैन’ में कहौ कि यह चार दिवसीय पाबंदी एक सितंबर को खत्म होगी। इनसे यह साफ हो गया था कि पाकिस्तान कराची के पास अपने सोनमियानी टेस्ट रेंज से मिसाइल का परीक्षण करने वाला है। कहने का तात्पर्य यह कि पाकिस्तान पर नजर रखने वालों के लिए यह अपेक्षित था।
सामान्यतः किसी भी देश को मान्य अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए मिसाइल परीक्षण करने का अधिकार है। किंतु इसमें समय और उस देश के वक्तव्यों को भी देखना होता है। इससे स्पष्ट होता है कि आखिर उसके परीक्षण का उद्देश्य क्या था। यह जानना जरुरी है कि पाकिस्तान ने जिस बैलिस्टिक मिसाइल गजनवी का परीक्षण किया है वह सतह से सतह पर मार करने वाली है जो 290 किलोमीटर की दूरी तक का लक्ष्य भेदने में सक्षम है। यानी यह मध्यम दूरी का बैलेस्टिक मिसाइल है। इसे गजनवी के साथ हत्फ-3 मिसाइल के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान के पास पहले से ही सतह से सतह से सतह पर 290 से 320 किलोमीटर तक की दूरी तक मार करने में सक्षम गजनवी या हत्फ-3 मिसाइल है। यह मिसाइल 700 किलोग्राम विस्फोटक के साथ नाभिकीय हथियार ले जाने में सक्षम है। ऐसे में समान्य तौर पर यह समझे से परे है कि पाकिस्तान ने फिर से 300 किलोमीटर रेंज की ही गजनवी मिसाइल का परीक्षण क्यों किया? जान लीजिए, इसके बनाने की शुरुआत 1987 में ही हुई थी। चीन ने एम-11 मिसाइल वर्ष 1987 में पाकिस्तान को दिया था जिसकी तकनीक का इस्तेमाल करके पाकिस्तान ने गजनवी मिसाइल का निर्माण किया। इसका पहला वर्जन 2004 से ही पाकिस्तानी सेना के पास है। कई परीक्षण से गुजरने के बाद 2007 में इसे घोषित तौर पर पाकिस्तानी सेना में शामिल किया गया। इसी साल मई के आखिर में पाकिस्तान ने शाहीन-2 मिसाइल का परीक्षण किया था। यह भी जमीन से जमीन पर मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल है। जनवरी में नस्र मिसाइल का परीक्षण किया था। उस समय पाक सेना ने बयान में कहा था- नस्र हमारे पड़ोस में मौजूद किसी भी बीएमडी (बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस) को तबाह कर सकती है। गजनवी मिसाइल को ट्रक पर लादकर रेल या सड़क मार्ग से कहीं पर भी ले जाया जा सकता है। पाकिस्तान के 130 से 140 परमाणु हथियार होेने का अनुमान है। गजनवी के अलावा पाकिस्तान के पास शाहीन और गौरी जैसी लंबी दूरी तक मारे करने वाली मिसाइले हैं।
जैसा उपर बताया गया यह स्थिति तो पहले से है। पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अगर भारत पहले पाकिस्तान पर हमला करता है तो इस मिसाइल के जरिए पाकिस्तान जवाबी हमला कर सकता है। यही मूल बात है। दरअसल, कश्मीर मुद्दे को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने देश में भारत के विरुद्ध जंगोन्माद का माहौल बना दिया है। इसमें उनका साथ सारे मंत्री, यहां तक कि राष्ट्रपति, सेना, पूर्व जनरल, पूर्व राजनयिक सभी दे रहे हैं। कश्मीर होगा पाकिस्तान का वर्षों पुराने सपने को चकनाचूर होते देखकर पाकिस्तान सरकार की मानसिक दशा अस्वाभाविक नहीं है। इस समय वैसे भी इमरान खान लगभग सभी मोर्चों पर विफल हो चुके हैं। विपक्ष के अनेक बड़े नेताओं को किसी न किसी आरोप में या न्यायपालिका का उपयोग करके जेल मे डाला जा चुका है, मीडिया में विपक्षी नेताओं के साक्षात्कार पर प्रतिबंध है। इन कारणों से विरोधी राजनीतिक वर्ग में विद्रोह का भी भाव है। इसमें कश्मीर के लिए मर मिटने तथा भारत से जंग के लिए पूरी तरह तैयारी का माहौल पैदा किए रहने से लोगों का ध्यान सरकार की विफलताओं से हटती है। इमरान अपने सारे भाषणों में कह रहे हैं कि भारत कभी भी जंग छेड़ सकता है लेकिन सेना के साथ हमारी पूरी कौम लड़ेगी और कश्मीर को बचाएगी। कोई दिन ऐसा नहींजब पाकिस्तान की ओर से जंग की बात नहीं होती। पाक रेल मंत्री शेख राशिद ने तो यहां तक कह दिया कि अक्टूबर या नवंबर तक दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ सकता है। सभी नाभिकीय युद्ध का खतरा भी बता रहे हैं। भारत ने कभी भी हमले की बात नहीं की है। हमारे प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री या विदेश मंत्री ने कभी एक शब्द पाकिस्तान को लेकर ऐसा नहीं कहा जिससे जंग करने की सोच का संकेत मिले। इसमें पाकिस्तान सरकार के लिए कठिनाई बढ़ गई है। उसे जंग का वातावरण बनाए रखने के लिए कुछ न कुछ करते रहना है। पहले से परीक्षित मिसाइल के एक वर्जन का परीक्षण करके इमरान सरकार और सेना ने अपने अवाम को यह बताया है कि हम युद्ध के लिए पूरी तैयारी कर रहे है। इससे माहौल बनाए रखने में मदद मिलेगी। उनका एक उद्देश्य यह है कि किसी तरह दुनिया मान ले कि भारत हां संकट पैदा कर रहा है और टकराव की स्थिति है। मिसाइल परीक्षण के बावजूद यदि दुनिया ने ऐसा नहीं माना तो पाकिस्तान आगे क्या करेगा यह प्रश्न अब महत्वपूर्ण हो जाता है। इसलिए भी कि पाकिस्तान के बारे में मिसाइल परीक्षण से नकारात्मक संदेश गया है। एक उन्मादित और हताश देश कुछ भी कर सकता है।
तो ऐसे पड़ोसी से निपटने के लिए हमें हर दृष्टि से तैयार रहना है। लेकिन मिसाइल परीक्षण हमारे लिए चिंता का कोई कारण नहीं है। भारत के पास 9 तरह की ऑपरेशनल मिसाइल हैं। इनमें प्रमुख है पृथ्वी, ब्रह्मोस और अग्नि मिसाइल। पृथ्वी-1 जमीन से जमीन पर 150 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल है। 1000 किलोग्राम वजन तक के वॉरहेड, बम या अन्य चीजों को अपने साथ ले जा सकती है। पृथ्वी-2 मिसाइल नाभिकीय हथियारों के साथ 350 किमी तक मार सकती है। हमारे पास रुस के सहयोग से निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो 300 किमी से ज्यादा दूरी तक मार कर सकती है। यह दुनिया की सबसे तेज जहाज रोधी क्रूज मिसाइल है। यह बिना पायलट वाले लड़ाकू विमान की तरह होती है जो जमीन की सतह से काफी करीब उड़ान भर सकती है। दुश्मन के रडार इसे पकड़ नहीं पाते। इसके अलावा अग्नि सीरीज के तहत पांच मिसाइलें तैयार की गईं। अग्नि 1 की रेंज 700 किलोमीटर है। यह एक बैलिस्टिक मिसाइल है जो नाभिकीय बम ले जाने में सक्षम है। अग्नि 2 यह जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली बलिस्टिक मिसाइल है। इसकी रेंज 2000 से लेकर 2500 किलोमीटर तक है। यह अपने साथ परंपरागत या नकभिकाय वारहेड को ले जाने में सक्षम है। अग्नि-3 की रेंज 3 से 5 हजार किलोमीटर है। अग्नि 5 तो इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल है। यह पूर्व में चीन और फिलीपींस और पश्चिम में इटली तक मार कर सकती है। इसकी जद में पूरा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, ईरान और करीब आधा यूरोप है। ये सिर्फ 20 मिनट में चीन पहुंच सकती है। जाहिर है, मिसाइलों के मामले में पाकिस्तान हमारे पास कहीं नहीं ठहरता है। यह उसे भी पता है और दुनिया के प्रमुख देशों को भी। इमरान खान सेना के निर्देश पर काम करते हैं यह बताने की आवश्यकता नहीं। सेना की प्रतिष्ठा 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक तथा 26 फरबरी को भारत द्वारा आतंकवादी ठिकानों पर हवाई बमबारी से काफी गिर चुकी है। मिसाइल का परीक्षण उसके निर्देश पर ही हुआ है। आगे भी जो होगा सेना की चाहत के अनुसार ही होगा। मिसाइल परीक्षण का माहौल जब खत्म होगा तब ये क्या करेगे? उनको कुछ न कुछ करते रहना है ताकि जंग का वातावरण बना रहे। किंतु इससे वह खोएगा ज्यादा, पाएगा कुछ नहीं।

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