पाकिस्तान में आतंकी हाफिज सईद की पार्टी ‘निल्ल बटे सन्नाटा’, सभी रिश्तेदारों की बुरी हार
इस्लामाबाद : पकिस्तान में मतगणना जारी है और रुझानों में पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। साथ ही इस चुनाव में पाकिस्तानी अवाम ने आतंक को सिरे से नकार दिया है। हालत ये हैं कि मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का एक भी उम्मीदवार लड़ाई में नहीं नजर आ रहा, यहां तक की हाफिज सईद का बेटा हाफिज तल्हा और दामाद खालिद वलीद भी हार की कगार पर हैं। गौरतलब है कि हाफिज सईद ने पाकिस्तान की 265 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।रुझानों में एक भी सीट पर हाफिज सईद के उम्मीदवार बढ़त बनाते नहीं दिख रहे, हाफिज ने अल्लाह-ओ-अकबर (एएटी) के जरिए अपने उम्मीदवार उतारे थे। रुझानों के हिसाब से कह सकते हैं कि पाकिस्तान की जनता ने आतंकी मंसूबों को पूरी तरह से नकार दिया है। इस वजह से हाफिज सईद को भी कड़ा झटका लगा है, जो कि चुनाव के माध्यम से पाकिस्तान पर हुकूमत करने की फिराक में था। पाकिस्तान की सभी प्रमुख सियासी पार्टियों के बीच आपसी रस्साकशी को देखते हुए हाफिज सईद को लगता था कि इस बार पाकिस्तानी अवाम सीधे नहीं तो पिछले दरवाजे से ही उसे प्रधानमंत्री के दफ्तर और फिर कुर्सी तक जरूर ले जाएगी।
हालांकि रुझानों में उसका सपना टूटता नजर आ रहा है। हाफिज सईद ने अपनी पार्टी की हार के लिए होम मिनिस्ट्री, चुनाव आयोग और दुश्मनों को जिम्मेदार ठहराया। अभी तक आए रुझानों में PTI 119, PML(N) 56, PPP 34 सीटों पर आगे चल रही है। इसके अलावा 58 सीटों पर अन्य उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। कुल 272 सीटों में 267 सीटों के रुझान अब तक सामने आए हैं। PML(N) के शहबाज शरीफ, PPP के बिलावल भुट्टो, MMA के फजल उर रहमान, जमात ए इस्लामी के सिराज उल हक अपनी-अपनी सीट पर चुनाव हार गए हैं। रुझानों में पिछड़ने के बाद से ही नवाज शरीफ की पार्टी PML(N) की ओर से चुनाव में धांधली का आरोप लगाया गया। नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ ने आरोप लगाया कि ये चुनाव पाकिस्तान के इतिहास के सबसे बेईमानी वाले चुनाव हैं। हम इन नतीजों को खारिज करते हैं, उन्होंने कहा कि इमरान खान धोखे से चुनावों में बढ़त बनाए हुए हैं। हमारे कई समर्थकों को मतगणना स्थल से बाहर निकाल दिया गया, उन्होंने आरोप लगाया कि मतगणना पर भारी मात्रा में गड़बड़ी की जा रही है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं. इनमें से 272 को सीधे तौर पर चुना जाता है, जबकि शेष 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं।