पाकिस्तान को हराने को वसुंधरा राजे करेंगी तनोट माता मंदिर में अनुष्ठान
जयपुर। उरी हमले और लक्षित हमलों से उपजे तनाव के बीच राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा देश में सुरक्षा और शांति के लिए पूजा की जायेगी। जैसलमेर जिले से सटी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित प्रख्यात तनोट माता मन्दिर में विशेष पूजा अर्चना की जायेगी और राष्ट्र रक्षा यज्ञ किया जायेगा। आयोजन में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शिरकत करेगी।
राजस्थान संस्कृत अकादमी के अध्यक्ष जया दवे और एक सरकारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी। दवे के अनुसार देश में अमन चैन के लिए तनोत मन्दिर में कल गुरूवार को दुर्गा सप्तशती यज्ञ किया जायेगा, इससे पहले विशेष पूजा अर्चना होगी। इस आयोजन में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी मौजूद रहेंगी। इक्कीस विद्वान वेद मंत्रों के बीच राष्ट्र रक्षा के लिए आहूतियां देंगे।
यह पूजा-अर्चना देश की सुरक्षा और सीमा पर बहादुरी से डटे सेना और सीमा सुरक्षा बल के जवानों का मनोबल बढाने के लिये की जायेगी। सीमा पर बसे लोगों को महफूज रखने के लिये भी यह पूजा-अर्चना की जायेगी क्योंकि राजस्थान में देश की सबसे लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा है, जहां जैसलमेर, बाडमेर, श्रीगंगानगर ओर बीकानेर जिले के कई गांव बसे हुए है।
बताते चलें कि जैसलमेर के थार रेगिस्तान में 120 किमी. दूर सीमा के पास स्थित सिद्ध तनोट राय माता मंदिर से भारत-पाकिस्तान युद्ध की कई अजीबो गरीब यादें जुड़ी हुई हैं। राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना को परास्त करने में तनोट माता की भूमिका बड़ी अहम मानी जाती है। यहां तक मान्यता है कि युद्ध के दौरान तनोट राय माता ने भारतीय सैनिकों की मदद की इसके चलते ही पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा।
1965 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान 17 से 19 नवंबर तक पाकिस्तान की ओर से तनोट राय माता मंदिर पर भारी बमबारी की गई। दुश्मन के तोप जबर्दस्त आग उगलती रहीं। लड़ाई के दौरान पाकिस्तान की तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर में खरोच तक नहीं ला सके, यहां तक कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे भी नहीं। माना जाता है कि तनोट माता के आशीर्वाद से ही ऐसा हुआ। उस दौरान तनोट राय माता की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमांड में 13 ग्रेनेडियर की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियां दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थीं।
कब्जा करने के उद्देश्य से पाकिस्तान ने भारत के इस हिस्से पर जबर्दस्त हमले किए लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। अब तक गुमनाम रहा यह स्थान युद्ध के बाद प्रसिद्ध हो गया। ज्ञात हो कि पाकिस्तान सेना 4 किमी. अंदर तक भारतीय सीमा में घुस आई थी। लेकिन भारतीय सेना ने जवाबी हमले में पाकिस्तानी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया और वह पीछे लौट गई।
माता का मन्दिर जो अब तक सुरक्षा बलों का कवच बना रहा, युद्ध समाप्त होने पर सुरक्षा बल इसका कवच बन गए। मंदिर को बीएसएफ ने अपने नियंत्रण में ले लिया। आज यहां का सारा प्रबन्ध सीमा सुरक्षा बल के हाथों में है। मन्दिर के अन्दर ही एक संग्रहालय है जिसमें वे गोले भी रखे हुए हैं। पुजारी भी सैनिक ही है। यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना के फौजियों के लिए भी आस्था का केन्द्र रहा है।