

देश विरोधी गतिविधियों से इतर रियासत में बाहरी राज्यों से तस्करी के रूटों से लाए जाने वाले सामानों की खेप भी अब नहीं आ पा रही। खुफिया सूत्रों के अनुसार घाटी में समानांतर अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा आतंकी गतिविधियों से लेकर माहौल बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल होता रहा है।
अलग-अलग रूटों से होकर घाटी पहुंचने वाले पैसे से देश विरोधी तत्वों को पाला पोसा जाता रहा है। पत्थरबाजों को बाकायदा दिहाड़ी देने का चलन रहा है। लेकिन आठ नवंबर की रात से बड़े करेंसी नोटों पर पाबंदी लगने से हवाला सहित काली कमाई के अन्य स्रोत ठप हो गए हैं।