पीएम मोदी 4 साल में चौथी बार चीन में, ‘दिल से दिल तक की बात’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी देर रात चीन के शहर वुहान में पहुंच गए. पीएम मोदी और चीन के प्रेसिडेंट शी चिनफिंग के बीच शुक्रवार को दोपहर 3: 30 बजे से दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर वार्ता शुरू होने जा रही है. इनके बीच ‘दिल से दिल तक’ की बातचीत का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन होगा. पीएम मोदी अपने चार साल के कार्यकाल में ये चौथी बार पहुंचे है. मोदी ऐसे भारतीय पीएम हैं, जो सबसे ज्यादा चीन गए हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तीन बार चीन की यात्रा कर चुके हैं.
रणनीतिक और लंबे समय के लिए रिश्तों की समीक्षा
दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों के बढ़ने की रणनीतिक और लंबे समय के लिए रिश्तों की समीक्षा करेंगे. दोनों नेताओं के सीमा विवाद सहित कई मुद्दों का हल करने के लिए दोनों देशों के बीच आमराय बनाने की दिशा में काम करने की भी उम्मीद है. अधिकारियों के मुताबिक, इस अनौपचारिक बातचीत के दौरान किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएगा.
दिल से दिल तक की बातचीत
यह इनके बीच दिल से दिल तक की बातचीत का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन होगा. इस दौरान किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होंगे और न ही कोई साझा बयान जारी किया जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन मुद्दों को सुलझाने पर सहमति बनाने का प्रयास है जो कि किसी समझौते की घोषणा के बजाय बाद की कार्रवाई पर होगा. दोनों नेताओं के बीच इस तरह का संवाद पहली बार हो रहा है.
पीएम मोदी के वुहान में कार्यक्रम
27 अप्रैल
दोपहर 3:30 से 4: 30 बजे तक पीएम मोदी की राष्ट्रपति शी से वन ऑन वन मीटिग. इसके बाद हुबेई प्रांतीय संग्रहालय जाएंगे
शाम 6:00 बजे प्रेसिडेंट शी जिनपिंग से मुलाकात ( प्रतिनिधि मंडल भी मौजूद रह सकता है )
6: 40 बजे पीएम मोदी के सम्मान में चीनी प्रेसिडेंट द्वारा आयोजित भोज
28 अप्रैल
सुबह 10: 00 बजे से 10:30 बजे तक पूर्व लेक किनारे चीनी प्रेसिडेंट के साथ पीएम मोदी घूमेंगे
10:30 से 11:30 बजे बोट की सवारी पीएम मोदी चीनी प्रेसिडेंट के साथ करेंगे
11:40 से 12:40 बजे प्रेसिडेंट द्वारा पीएम मोदी के सम्मान में भोज
ट्वीट कर पीएम ने दी जानकारी
नई दिल्ली से चीन की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ”मैं चीन के वुहान की यात्रा पर जा रहा हूं जहां 27-28 अप्रैल को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ अनौपचारिक शिखर बैठक होगी.” उन्होंने कहा, ”राष्ट्रपति शी और मैं द्विपक्षीय और वैश्विक महत्व के विविध विषयों पर व्यापक चर्चा करेंगे और विचारों का आदान प्रदान करेंगे. हम अपनी दृष्टि और राष्ट्रीय विकास के बारे में प्राथमिकताओं पर चर्चा करेंगे जिसमें खास तौर पर वर्तमान एवं भविष्य के अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के विषय शामिल होंगे.” मोदी ने कहा कि इसमें भारत-चीन संबंधों के सामरिक और दीर्घकालिक पहलू के संदर्भ में समीक्षा की जाएगी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्विटर पर लिखा कि चीनी राष्ट्रपति शी के साथ पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए वुहान पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया. दोनों नेता हमारे द्विपक्षीय संबंधों के बढ़ने की रणनीतिक और दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य से समीक्षा करेंगे.
सीधी बातचीत,‘दिल से दिल जोड़ने की होगी पहल’
पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी के बीच दो दिवसीय अप्रत्याशित शिखर वार्तांओं का दौर आज शुक्रवार से शुरू हो रहा है. इस सम्मेलन को ‘दिल से दिल को जोड़ने वाली पहल’ करार दिया जा रहा है.
विवादास्पद मुद्दों पर रास्ता खोजेंगे
इसका उद्देश्य दोनों देशों के कुछ अति विवादास्पद मुद्दों पर सहमति की राह खोजना है. मोदी व शी दिन के भोजन के बाद अकेले में बैठक करेंगे.
डोकलाम विवाद से संबंधों में बढ़ी थी दरार
डोकलाम विवाद के कारण दोनों देशों के संबंधों में आई खटास को दूर करने के लिए हाल के समय में दोनों पक्षों ने कई कदम उठाए हैं. इस दिशा में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने चीन की यात्रा की थी.
झील किनारें सीधी बातचीत
दोनों प्रमुख नेताओं की अनौपचारिक सीधी बातचीत, चीन के सबसे अच्छे म्यूजियम की यात्रा व एक मनमोहक झील के किनारे रात्रि भोज शामिल है. दोनों नेता शुरू में हुबई प्रांतीय संग्रहालय जाएंगे जहां बड़ी संख्या में एतिहासिक व सांस्कृतिक निशानियां मौजूद हैं.
दोनों पक्षों के 6-6 शीर्ष अफसर होंगे शामिल
दोनों नेता वार्ता करेंगे, जिसमें दोनों ओर से 6 – 6 आला अधिकारी भाग लेंगे. दोनों नेता चर्चित ईस्ट लेक के किनारे रात्रि भोज करेंगे. ये जगह चीन के क्रांतिकारी नेता माओ का माओत्से तुंग का पसंदीदा जगह रही है, जहां वे लीव मनाने आते थे.
मोदी ने साबरमती आश्रम किनारे शी का किया था स्वागत
दोनों नेताओं ने अपनी अनौपचारिक बैठकों की शुरुआत 2014 में की जब शी भारत गए और मोदी ने उनकी आगवानी गुजरात के साबरमति आश्रम में की. उसके बाद से दोनों नेता दर्जन भर अंतरराष्ट्रीय बैठकों में मिल चुके हैं.
पीएम बनने के बाद मोदी की ये चौथी चीन यात्रा
साल 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी की यह चौथी चीन यात्रा है. वह 9 और 10 जून को क्विंगदाओ शहर में होने जा रहे एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन जा सकते हैं.
सैन्य संबंध हो सकते हैं स्थिर, सीमाओं पर शांति बहाल हो सकती है: चीनी सेना
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ( पीएलए ) ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर वार्ता दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को स्थिर बना सकता है, सीमाओं पर शांति बनाए रखने में मदद कर सकता है और मतभेदों को सुलझा सकता है. चीनी सेना के प्रवक्ता कर्नल वु किआन ने बीजिंग में मीडिया से कहा कि दोनों तरफ के लोग चाहते हैं कि चीनी और भारतीय सशस्त्र बलों के बीच संबंधों में स्थिरता आए और सीमाओं पर शांति कायम रहे.
कुछ कठिनाइयां और बाधाएं
कर्नल वु ने कहा , ”भले ही दोनों सेनाओं के बीच संबंधों में कुछ कठिनाइयां और बाधाएं हैं, हम आपसी समझ को गहरा करने , पारस्परिक विश्वास को मजबूत करने , मतभेदों को अच्छी तरह से सुलझाने और दोनों सेनाओं के बीच संबंधों के स्वस्थ एवं स्थिर विकास की सकारात्मक ऊर्जा के लगातार दोहन के लिए दिशा-निर्देश के रूप में दोनों देशों के नेताओं की महत्वपूर्ण आम सहमति का इस्तेमाल करना चाहते हैं. ”कर्नल वु की टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राष्ट्रपति शी चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के प्रमुख हैं. शी चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के भी अध्यक्ष हैं.
संबंधों में नया मुकाम: चीनी मीडिया
पीएम नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच दो दिवसीय अनौपचारिक बैठक द्विपक्षीय संबंधों में एक नया मुकाम हो सकता है और मतभेदों को कम करने में मदद कर सकता है. चीन के सरकारी अखबार में लिखे एक आलेख में यह दावा किया गया है. चाइना डेली के एक आलेख में कहा गया है कि शी और मोदी के रणनीतिक , दीर्घकालीन और अन्य अहम मुद्दों पर वुहान में अनौपचारिक बैठक में विचारों का आदान – प्रदान करने की उम्मीद है. बैठक चीन – भारत संबंधों में एक नया मुकाम होगा , जो द्विपक्षीय संबंधों में नया जोश भरेगा और सहयोग का एक नया दौर शुरू करेगा.
चुनौती अमेरिका की संरक्षणवादी व्यापारिक नीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी व्यापारिक कदमों के मद्देनजर दो सबसे सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं – चीन और भारत – को न सिर्फ अपने विकास के पथ पर बाधाओं का सामना करना पड़ेगा, बल्कि अपने साझा लक्ष्य, एशिया का महत्व एक बार फिर से बढ़ाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
डोकलाम की छाया से निकलने की कोशिश
डोकलाम संकट सहित कई मुद्दों पर पिछले साल हुए तनाव का जिक्र करते हुए इसने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में सहयोग तनावों के बावजूद बनाए रखा गया. इसने कहा है कि पिछली गर्मियों में सीमा पर गतिरोध एक संक्षिप्त मामला था. हालांकि , इसने दोनों देशों को संकट प्रबंधन की अहमियत को पहचानने में मदद की. वुहान बैठक में मतभेदों को घटाने और दोनों देशों के बीच आमराय बनाए जाने की उम्मीद है.
आपसी फायदे के लिए शक्ति संतुलन
इसमें कहा गया है कि दोनों नेता मौजूदा विश्व व्यवस्था पर अपनी वार्ताओं में ध्यान केंद्रित करेंगे. दोनों देशों का तीव्र विकास दुनिया की स्थिरता के लिए फायदेमंद है और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के बीच सही संतुलन लाने वाला होगा.
व्यापार एवं वित्तीय साझा हित
शी और मोदी के अपने शासकीय अनुभवों को भी साझा करने की उम्मीद है. उनके द्वारा बड़ी अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का हल करने पर भी चर्चा करने की संभावना है.इसमें कहा गया है कि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं वित्तीय प्रणाली बेहतर करने का साझा हित रखते हैं.
चिंताओं का हल निकालेंगे
आलेख में कहा गया है कि बेशक शी और मोदी एक दूसरे की चिंताओं का हल करेंगे. साथ ही, बेहतर संबंध की जरूरत को नजरअंदाज कर उनके भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा में पड़ने की संभावना भी नहीं है.