अद्धयात्म

पुरुषों को क्यों नहीं देना चाहिए गणगौर का प्रसाद?

एजेन्सी/  l_gangaur-1460173705गणगौर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का पर्व है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को गणगौर का त्योहार मनाया जाता है। वैसे तो इसे देश में अनेक स्थानों पर मनाया जाता है परंतु राजस्थान में इस त्योहार की रौनक अनोखी होती है। गणगौर के पूजन की तैयारियां होली के दूसरे दिन से शुरू होती हैं। 

रंगों के पर्व से पूजन प्रारंभ होने का कारण यह है कि जिस प्रकार रंग जीवन में खुशियों का प्रतीक माने जाते हैं, उसी प्रकार गणगौर सौभाग्य व सुख प्राप्ति का त्योहार है। ईसर-गणगौर का पूजन कर कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर तथा नवविवाहिताएं अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती हैं। 

पौराणिक मान्यता के अनुसार, गणगौर पूजन के माध्यम से मां पार्वती द्वारा की गई तपस्या व पूजन का अनुसरण किया जाता है। उन्होंने शिवजी की प्राप्ति के लिए घोर तप किया था। उसके बाद उन्हें पति रूप में पाया था। 

गणगौर पूजन के दिन गणगौर को प्रसाद चढ़ाया जाता है। महिलाओं और बच्चियों द्वारा ही यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। वहीं, पुरुषों के लिए इसका निषेध है। इसका क्या कारण है?

चूंकि गणगौर मुख्यत: महिलाओं का त्योहार है। यह सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए अथवा पति के दीर्घ जीवन के लिए किया जाता है। प्रसाद को इस पूजन का फल समझा जाता है। इसलिए इसे ग्रहण करने का अधिकार सिर्फ महिलाओं को ही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह पुरुषों को नहीं देना चाहिए। 

 

Related Articles

Back to top button