पोंजी स्कीमों और काले धन पर वार करेगा नया ऑर्डिनेंस
नई दिल्ली : पोंजी स्कीमों से आम लोगों को बचाने के लिए लाए गए ताजा अध्यादेश से मौजूदा कानूनों के कई लूपहोल बंद हुए हैं, इससे डिपॉजिटर्स के हितों की रक्षा होगी और इसके साथ ही काले धन की समस्या से निपटने में सरकार को भी मदद मिल सकती है, बता रहे हैं आत्मदीप रे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बैनिंग ऑफ अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स 2019 से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी देने से बमुश्किल तीन महीने पहले वेस्ट बंगाल प्रशासन ने नबन्ना में लोगों से डिपॉजिट लेकर फर्जीवाड़ा करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया था। नबन्ना में कोलकाता में हुगली नदी के किनारे पश्चिम बंगाल का नया सचिवालय है। इससे पता चलता है कि एक के बाद एक सरकारें क्यों आम निवेशकों को चूना लगाने वालों की नकेल कसने के लिए कानून बनाती रही हैं। इससे यह भी पता चलता है कि आम लोगों को ठगने के लिए फर्जीवाड़ा करने वाले किस तरह की ढिठाई और धूर्तता दिखाते हैं। धोखेबाज तो कई स्कीमों को जरिया बनाते हैं, लेकिन इनमें सबसे आम है किसी डिपॉजिट स्कीम को ऐसे लोगों के बीच आकर्षक बनाकर पेश करना, जो अपनी छोटी बचत को किसी सुरक्षित जगह लगाने के बारे में सोच रहे हों। बैनिंग ऑफ अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम ऑर्डिनेंस से आरबीआई और सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के कई रेग्युलेशंस और तमाम प्रशासनिक इकाइयों के कई अन्य नियमों की कमियां दूर करने की कोशिश की गई है। कंसल्टेंट विनोद कोठारी ने कहा, यह अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स के जरिए लिए जाने वाले डिपॉजिट पर रोक लगाने के लिए लाया गया है। एक तरह से वेस्ट बंगाल में सामने आए घोटाले और देश में दूसरी जगहों पर समय-समय पर होने वाली ऐसी घटनाओं पर देर से उठाए गए कदम जैसा है। उन्होंने कहा, यह कानून हर अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम पर ऐक्शन लेने का अधिकार राज्य सरकार को देता है। इसने एक तरह से ऐसी गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी से आरबीआई या सेबी को मुक्त कर दिया है।