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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई राज्‍यों में बज्रपात से हुई मौतों पर जताई संवेदना

नई दिल्‍ली : उत्तर प्रदेश, राजस्‍थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत कुछ अन्‍य राज्‍यों में भी इसकी वजह से गई लोगों की जान चली गई। मिली जानकारी के अनुसार राजस्‍थान में राज्य में 23 लोगों की मौत ​हो गई। वहीं 28 घायल हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत राज्यपाल कलराज मिश्र ने मृतकों के प्रति संवेदना जताई है। बिजली गिरने से जयपुर में ही करीब 16 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 11 की मौत जयपुर के आमेर किले पर बने वॉच टावर पर उस वक्‍त हुई जब ये लोग यहां पर सेल्‍फी ले रहे थे।

हादसे के वक्‍त यहां पर करीब 35 लोग मौजूद थे। बिजली गिरने की वजह से कई लोग उछल कर नीचे पहाड़ी में जा गिरे। सरकार ने यहां पर रेस्‍क्‍यू मिशन चलाया हुआ है। घायलों को विभिन्‍न अस्‍पतालों में भर्ती कराया गया है। इनमें से कुछ ही हालत नाजुक बताई जा रही है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इन घटनाओं में मारे गए लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्‍यक्‍त की है। अपने एक ट्वीट में उन्‍होंने लिखा है कि ‘राजस्थान के कुछ इलाकों में आकाशीय बिजली गिरने से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इससे अत्यंत दुख हुआ है। मैं मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।’ बिजली गिरने की घटनाएं धरती पर लगभग हर जगह दिखाई देती हैं। इसलिए ये जानना जरूरी है कि आखिर ऐसा होता क्‍यों है।

गौरतलब है कि बारिश के दिनों में अक्‍सर आसमान में बादल उमड़ते घुमड़ते दिखाई देते हैं। जब ये बादल विपरीत दिशा से आ रहे बादलों से टकराते हैं तो इससे इनमें मौजूद पानी की बूंदे चार्ज हो जाती हैं और एनर्जी जनरेट होती है जो सीधे धरती की तरफ आती है। इसकी ही वजह से कई बार हमें बिजली तड़तड़ाने की तेज आवाज सुनाई देती है। हालांकि ये आवाज बिजली चमकने के कुछ देर बाद सुनाई देती है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि बिजली की रफ्तार आवाज की रफ्तार से काफी तेज होती है। इसलिए इसमें इतना अंतर दिखाई देता है। धरती से टकराने के लिए इसको एक कंडक्‍टर की जरूरत होती है। इसका ये काम आसान बनाते हैं धरती पर लगे बिजली के खंभे। ऐसे में यदि कोई इनकी चपेट में आता है तो उसकी जान भी जा सकती है।

इंसान के शरीर पर इसका असर दूसरों की तुलना में कहीं अधिक होता है। इसकी चपेट में आने से डीपबर्न जैसी परेशानी आती है जिसमें हमारे टिश्‍यूज डैमेज हो जाते हैं। इसका असर हमारे नर्वस सिस्‍टम पर भी पड़ता है। इसकी चपेट में आकर व्‍यक्ति अपंग भी हो सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक बिजली गिरना और बिजली चमकना दोनों ही अलग-अलग घटनाएं हैं आपको हैरानी होगी कि धरती पर बिजली गिरने की घटनाएं लगभग हर मिनट ही होती है। जब बिजली गिरती है तो वहां के आसमान का तापमान करीब 15 हजार डिग्री फारेनहाइट तक होता है। इस तरह से आई एनर्जी सूरज की गर्मी से बहुत अधिक गर्म होती है। बारिश के दौरान आकाशीय बिजली गिरना काफी आम बात मानी जाती है। लेकिन ये आम सी बात अक्‍सर लोगों की जान ले लेती है। रविवार को कब और कहां होगी इसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। आकाशीय बिजली से कैसे बचा जाए इसकी जानकारी देने के‍ लिए एनडीआरएफ ने कई ट्वीट किए हैं। इसमें इसको लेकर हर तरह की जानकारी दी गई है।

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