1 जुलाई से जीएसटी के लागू होने के बाद प्रॉपर्टी बाजार पर भी काफी असर पड़ा है। ऐसे में अगर आप नया मकान खरीदने जा रहे हैं तो आपको उन बदलावों के बारे में जानकारी होनी चाहिए जो अब अमल में आ चुके हैं। जानिए जीएसटी के बाद प्रॉपर्टी बाजार में कौन कौन से बदलाव आए हैं…
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रियल एस्टेट पर अब कितना टैक्स देना होगा?
अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर 18 फीसद जीएसटी लगेगा जिसमं 9 फीसद का स्टेट जीएसटी और 9 फीसद सेंट्रल जीएसटी होगा। सरकार ने डेवलपर की ओर से चार्ज की गई कुल राशि के एक तिहाई के बराबर भूमि मूल्य की कटौती की अनुमति भी दी है। इस हिसाब से प्रभावी दर 12 फीसद हो जाएगी।
जीएसटी के बाद भी देनी होगी स्टांप ड्यूटी:
स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है क्योंकि ये स्टेट की ओर से वसूले जाने वाले टैक्स हैं और प्रॉपर्टी टैक्स भी एक म्युसिपल लेवी (नगरपालिका की ओर से वसूला जाने वाला कर) है।
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इस साल डिटेल्ड रिटर्न भरने से मिलेगी राहत:
सरकार के मुताबिक व्यापारियों को फिलहाल डिटेल्ड रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी, इस बार समरी रिटर्न भरने भर से भी काम चल जाएगा।
टैक्स से जुड़ी समस्याएं सुलझाना होगा आसान:
जीएसटी के बाद, टैक्स संबंधी मुद्दों को निपटाना आसान हो जाएगा क्योंकि अब केंद्र और राज्यों के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर किसी भी तरह का कन्फ्यूजन नहीं होगा। इससे टैक्स से जुड़ी समस्याओं का सुलझाना और भी आसान हो जाएगा क्योंकि नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत एक ही नियम सभी के लिए लागू होंगे।
नॉन रजिस्टर्ड सेलर्स से सामान खरीदना पड़ेगा महंगा:
जीएसटी के बाद अब नॉन-रजिस्टर्ड सेलर्स से सामान की खरीद करने पर सामान खरीदने वाले को रिवर्स चार्ज देना होगा, यह चार्ज खरीदार की अनुपालन लागत (कंप्लाइंस कॉस्ट) में जुड़ेगा। ऐसे में अब जीएसटी के बाद लोग किसी भी नॉन-रजिस्टर्ड सेलर्स से सामान खरीदने से बचेंगे।
क्या है एक्सपर्ट का नजरिया:
आंतरिक्ष इंडिया ग्रुप के चेयरमैन राकेश यादव ने बताया कि जीएसटी के बाद रेडी टू मूव फ्लैट का चयन करना बेहतर रहेगा। राकेश यादव ने कहा कि भले ही प्रॉपर्टी बाजार पर जीएसटी का असर फिलहाल न दिखाई दे रहा हो लेकिन बाद में इसका अच्छा असर देखने को मिल सकता है। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि जीएसटी के बाद घर खरीदते समय डीलर के प्रोजक्ट की कंपाइलेशन और उसके ट्रैक रिकॉर्ड पर गौर करना बेहतर होगा।