फतेहपुर, गोंडा के डीएम अवैध खनन और वित्तीय अनियमितता में निलंबित
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज बड़े अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर लोकसभा चुनाव के मोड में जा चुकी प्रदेश सरकार की ओर से बड़ा संदेश दिया है। योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के साथ ही अवैध खनन की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए आज बड़ी कार्रवाई की है। फतेहपुर के जिलाधिकारी कुमार प्रशांत तथा गोंडा के जिलाधिकारी जेबी सिंह के खिलाफ इस कार्रवाई से सूबे के प्रशासनिक महकमे में काफी खलबली मच गई है। कुमार प्रशांत तथा जेपी सिंह को अवैध खनन पर रोक लगाने में नाकाम होने के कारण यह दंड झेलना पड़ा है। अवैध खनन के साथ ही कुमार प्रशांत तथा जेबी सिंह पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे हैं। इन पर खाद्यान्न अनियमितता और सरकारी जमीन गलत तरीके से एक व्यक्ति को देने का आरोप है। मुख्यमंत्री ने गोंडा और फतेहपुर के जिलाधिकारी को जनता की शिकायतों की अनदेखी, भ्रष्टाचार और अवैध खनन में लिप्त पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। डीएम फतेहपुर कुमार के साथ और डीएम गोंडा जितेंद्र बहादुर (जेबी) सिंह के खिलाफ अनियमितता, अवैध खनन समेत मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायत मिल रही थी। जिसके बाद आज प्रदेश सरकार की गाज दोनों के ऊपर गाज गिरी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यूपी के खनन निदेशक बलकार सिंह को भी हटा दिया है, उन्हें दिव्यांगजन विभाग भेजा गया है। खनन को लेकर बलकार सिंह पहले भी काफी चर्चा में रह चुके हैं। मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार और अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उनकी आज की कार्रवाई इसी कड़ी में की गई है। मुख्यमंत्री अधिकारियों की शिकायतों को सुनने और अवैध खनन पर लगाम लगाने के निर्देश पहले भी कई बार दे चुके हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ का अफसरों पर डंडा जारी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहले ही स्पष्ट किया हुआ है कि अगर कोई भी सरकारी अधिकारी या अफसर काम को लेकर लापरवाही बरतेगा या किसी अपराध में दोषी पाया जायेगा, तो उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जायेगी। इस कड़ी में सीएम योगी आदित्यनाथ ने फतेहपुर और गोंडा के जिलाधिकारी को सस्पेंड कर दिया है। इससे पहले प्रदेश सरकार ने खनन विभाग के निदेशक डॉ. बलकार सिंह को हटाकर बस्ती का जिलाधिकारी बनाया था। उन्होंने जब 15 दिन तक बस्ती के डीएम का काम नहीं संभाला तब फिर डॉ. राजशेखर को बस्ती का डीएम बनाया। डॉ. बलकार सिंह को एक बार फिर निदेशक खनन के पद पर तैनात किया गया, लेकिन कल ही उनको इस पद से हटा दिया गया। विशेष सचिव एवं निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म बलकार सिंह को प्रदेश सरकार ने निदेशक दिव्यांगजन सशक्तीकरण बनाया गया है। मंगलवार को ही सरकार ने उनकी बस्ती के डीएम पद पर की गई तैनाती निरस्त की थी। उन्हें भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में बने रहने के आदेश दिए थे। 24 घंटे के भीतर उनका तबादला निदेशक दिव्यांगजन सशक्तीकरण के पद पर कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फतेहपुर में गेहूं खरीद में अनियमितता मिलने पर गंभीर रूख अख्तियार करते हुए जिला अधिकारी फतेहपुर कुमार प्रशांत को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वरिष्ठ स्तर पर जिम्मेदारी निर्धारित करना आवश्यक है जिससे की सरकार के महत्वपूर्ण कार्य को समय से सुनिश्चित करके पारदर्शिता लाई जा सके। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि बीती 31 मई को विशेष सचिव खाद्य, अपर आयुक्त खाद्य ने सूबे में गेहूं क्रय केंद्रों की जांच की थी। जांच में पाया गया कि 13 मई के बाद से लेकर अब तक लगभग 18 दिनों में कोई भी खरीद न करने का कोई भी सहीं औचित्य नहीं दर्शाया गया है साथ ही किसानों को टोकन वितरण न करने तथा गेहूं खरीद को प्रभावित करने में खाद्य आयुक्त के छह जून को इस मामले में दोषी पाए अधिकारी व कर्मचारी के विरूद्ध कारवाई की गई है। क्रय केंद्र प्रभारी बिसौली मण्डी नरेंद्र कुमार के साथ जिला प्रबंधक पीसीएफ मोहम्मद रफीक अंसारी, मंडी के यूपी एग्रो के क्रय प्रभारी प्रेम नारायण, जिला प्रबंधक यूपी एग्रो गुलाब सिंह, विपणन निरीक्षक शक्ति जायसवाल तथा खाद्य विपणन अधिकारी घनश्याम को निलंबित करने के साथ ही इस प्रकरण में एफआइआर भी दर्ज कराने का निर्देश किया गया है। वहीँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोंडा में सरकारी खाद्यान्न वितरण में बड़ी अनियमितता के साथ वरिष्ठ स्तर पर अप्रभावी तथा अत्यधिक शिथिल नियंत्रण को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी गोंडा जेबी सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही प्रभारी जिलापूर्ति अधिकारी राजीव कुमार तथा जिला खाद्य विपणन अधिकारी अजय विक्रम सिंह को भी तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने और इस पूरे मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमूमन हर मामले में कनिष्ठ अधिकारियों को दण्डित कर दिया जाता है, लेकिन वरिष्ठ स्तर पर जवाबदेही तय नहीं की जाती है। यदि वरिष्ठ स्तर पर प्रभावी अनुश्रवण व कार्रवाई की जाती तो कदाचित इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न न होती। प्रकरण में कार्रवाई की प्रभावी मिसाल स्थापित करते हुए वरिष्ठ स्तर पर जिम्मेदारी निर्धारित करने का फैसला लिया गया है। इस प्रकरण में 9162 बोरियों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का खाद्यान्न कालाबाजारी के उद्देश्य से गोदाम में संग्रहित मिला। जिसमें जिला प्रशासन तथा आपूर्ति एवं विपणन शाखा केंद्र, तहसील, जनपद व मण्डल स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों के शासन के निर्देश की अवहेलना तथा पदीय दायित्वों का ठीक से निर्वहन न करने का स्पष्ट प्रमाण परिलक्षित हुआ। प्रकरण संज्ञान में आने के बाद स्थानीय व राज्य मुख्यालय स्तर से जांच करायी गयी थी। इस प्रकरण में भारत सिंह केन्द्र विपणन निरीक्षक, झांझरी के साथ ही महेश प्रसाद पूर्ति निरीक्षक तहसील तरबगंज को पहले ही निलंबित कर दिया गया था।