फारूक अब्दुल्ला बोले, अगर गोलियों की जगह पानी की बौछार करती सेना, तो जिंदा 7 नागरिक
15 दिसंबर को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुए मुठभेड़ को लेकर पुलवामा में तनाव का माहौल हैं। मुठभेड़ स्थल के पास जमा हुई उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कथिक तौर पर सुरक्षाबलों ने फायरिंग की जिसमें 7 स्थानिय नागरिकों की मौत हो गई। इस मामले को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता और जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि सेना को गोलियों की जगह पानी की बौछार या आंसूगैस का इस्तेमाल करना चाहिए था, जो लोग मारे गए हैं, वे लौटकर नहीं आ सकते।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सेना और पुलिस भविष्य में इस तरह की कार्रवाई नहीं करेंगी। आपको बता दें कि पुलवामा में एनकाउंटर में 7 नागरिकों के मारे जाने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का भी बयान सामने आया था। इमरान खान ने मामले की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र तक इस मुद्दे को ले जाने की धमकी दी।
इमरान खान ने घटना की ट्वीटर पर निंदा करते हुये कहा कि केवल बातचीत से ही इस मुद्दे का हल निकलेगा, न कि हिंसा और हत्याओं से.. उन्होंने कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाने की चेतावनी देते हुए कहा कि देश मांग करेगा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जम्मू कश्मीर पर अपने जनमत-संग्रह की प्रतिबद्धता को पूरा करे। पाकिस्तान के विदोश कार्यालय ने भी इस घटना की निंदा की और कहा कि जम्मू कश्मीर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माना हुआ विवाद हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का लंबा एजेंडा हैं और इस हकीकत से भारत का अलग होना चौंकाने वाली बात थी।
आपको बता दें, पुलवामा के खारपुरा में 15 दिसंबर को सुरक्षाबलों ने आतंकियों को घेर लिया था। दोनों ओर से हुई फायरिंग में सुरक्षाबलों ने हिज्बुल कमांडर जहूर ठोकर को उसके दो साथियों के साथ मार गिराया गया। इस दौरान एक जवान शहीद हो गया। इस ऑपरेशन के दौरान ही सुरक्षाबलों और स्थानीय लोगों के बीच संघर्ष हो गया और पत्थरबाजी भी हुई। सुरक्षाबलों की ओर से अपने बचाव में की गई कार्रवाई के दौरान सात स्थानीय नागरिकों की मौत हो गई है।
इसके बाद पूरे पुलवामा और उसके आस-पास के गांवों में तनाव का माहौल है। पहले खबर थी कि आठ नागरिकों की मौत हुई है, लेकिन बाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि कुल 7 लोगों की मौत हुई है। एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है। तीन आतंकवादियों के मारे जाने के साथ ही मुठभेड 25 मिनट में खत्म हो गई, लेकिन सुरक्षाबल तब मुश्किल में पड़ गए जब लोगों ने सेना के वाहनों पर चढ़ना शुरू कर दिया।