इंदौर : मध्य प्रदेश की इंदौर पुलिस की महीने भर की पड़ताल के बाद एक ऐसे दम्पति को पकड़ा गया है, जो बेहद शातिर है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है यह दम्पति ‘बंटी-बबली’ बनकर एक ही इंजीनियर को 125 बार ठग लिया। उसे कुल 17 लाख रुपए का चूना लगा दिया। उस व्यक्ति के अलावा भी इनके कई लोग शिकार हो चुके हैं। पुलिस पूछताछ में दंपति ने सिलसिलेवार ठगी की वारदातों का खुलासा किया तो पुलिस भी चौंक गई। मीडिया से बातचीत में इंदौर साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कि द्वारकापुरी निवासी इंजीनियर हर्षित भारद्वाज ने 8 जुलाई 2019 शिकायत दी थी कि उससे सरकारी नौकरी के नाम पर 17 लाख 11 हजार की ठगी गई है। साइबर सेल की जांच के आधार पर पुलिस ने मामले में सोहेल अहमद मूल निवासी लखनऊ हाल मुकाम मुंबई तथा उसकी पत्नी जाहिरा को गिरफ्तार किया है। इनके पास से दो लैपटॉप, मोबाइल फोन व सिम कार्ड, बैंक पासबुक जब्त की गई हैं। असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर पर लगानी थी नौकरी हर्षित ने शिकायत में बताया कि जनवरी 2019 में एचआडी मिनिस्ट्री के सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज वर्ग के असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर आईएएस डॉ. अवनीश कुमार गर्ग के नाम से नियुक्ति का विज्ञापन जारी किया गया था।
हर्षित ने बताए मेल एड्रेस पर बॉयोडाटा भेजा तो वहां से नियुक्ति पत्र आ गया। हर्षित को जिस पद पर नियुक्ति दी थी, उसमें सभी कटौती के बाद 1 लाख 10 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन और केंद्र सरकार की मनरेगा समेत अन्य योजनाओं की समीक्षा व मूल्यांकन काम मिलना बताया। फिर शुरू हुआ ठगी का खेल शिकायत में बताया गया कि उसकी बात एचआरडी मिनिस्ट्री में एडिशनल डायरेक्टर रणविजय सिंह व प्रोग्राम डायरेक्टर कीर्ति तिवारी के नाम व्यक्ति से भी हुई थी। नियुक्ति पत्र ईमेल पर भेजा। इसके बाद ट्रेनिंग के लिए अलग-अलग बहाने से बैंक खाते में जमा कराए। इसके अलावा एफडी कराने, किसान विकास पत्र खरीदने, केंद्र सरकार के वैल्यू कार्ड खरीदने, बीमा कराने, शिफ्टिंग एलाउंस, पेंशन रजिस्ट्रेशन, प्रॉविडेंट फंड, इनकम टैक्स, बैंक चार्ज, बांड के नाम पर कभी 5 हजार, कभी 24604, कभी 19733 तो कभी 40 हजार रुपए जमा कराए। इस तरह से बैंक खातों में 125 बार में 17 लाख रुपए ठगे। 2-3 जुलाई को वेरिफिकेशन निगेटिव होने का झांसा देकर और पैसा मांगा तो फरियादी साइबर सेल के पास पहुंचा। देशभर में घुमाकर जीता विश्वास आरोपी हर्षित से कभी नहीं थे। सिर्फ फोन व ई मेल से संपर्क में रहते थे। उन्होंने नियुक्ति पत्र भेजने के बाद ज्वाइनिंग व प्रशिक्षण के लिए हर्षित को कलेक्टर कार्यालय इंदौर, वल्लभ भवन भोपाल, शास्त्री भवन दिल्ली, सचिवालय जयपुर, राजस्थान के कई डीएम कार्यालय, एमएसएमई कार्यालय तेलंगाना, गुवाहाटी आदि जगह भेजा। देशभर में घुमाकर आरोपियों ने उसका विश्वास जीता। फर्जी वेबसाइटों से किया गुमराह आरोपियों ने जो वेबसाइट बनाई, उसमें गवर्नमेंट डोमेन (जीओवी डॉट इन) का उपयोग करते हुए फर्जी वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट सीडीएस-जीओवी. इन बनाई। हुबहू सरकारी वेबसाइट से नाम मिलने से कोई शंका नहीं करता था। वेबसाइट पर उसने अशोक चक्र, सरकारी मोनो व स्किल इंडिया भी लिखा है। अफसरों से भी मिलवाया हर्षित ने बताया वह हैदराबाद में प्रमुख सचिव व जयपुर सचिवालय में आईएएस अफसरों से मिला। आरोपी वहां फरियादी के जाने के पहले मेल कर देता था, जिससे शंका नहीं हुई। जयपुर व सीकर में वह एडीएम से मिला।