प्रमोशन के सिलसिले में राजधानी आए बाल कलाकार पार्थ सिंह
लखनऊ। लखनऊ नवाबों का शहर है, इस शहर के बारे में मैने बहुत कुछ सुन रखा था, लेकिन यहां आकर मैनें जब इसे नजदीक से देखा तो हकीकत से रूबरू हुआ कि मैने जैसे सुन रखा था उससे कहीं ज्यादा इस शहर को खुबसूरत पाया। इस शहर की हर छटा ही निराली है, यहां का खान-पान, यहां के चिकन के कपड़े और यहां के लोगों का बातचीत का शायराना ढंग बहुत सुहाता है। ऐसा कहना है फिल्म ’क्रिना’ के बाल कलाकार पार्थ सिंह चौहान का, जो राजधानी में अपनी फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में संक्षिप्त प्रवास पर थे। इस दौरान पार्थ ने बताया कि फिल्म ’क्रिना’ आदिवासियों के जीवन और उनके सामाजिक व संगठनात्मक ढांचे का बेबाक चित्रण करने वानी एक प्रयेगत्मक फिल्म है। उन्होंने बताया कि कहानी का मूल ढांचा काल्पनिक होकर उनकी जीवनशैली का बस दर्पण है। उन्होंने आगे बताया कि फिल्म ’क्रिना’ पार्थ नाम के एक एक जांबाज किशोर की कहानी है, जो एक आतातायी सरदार और कबायली व्यवस्था में निहित अनाचार-अत्याचार के खिलाफ हथियार उठा लेता है। उसकी इस मुहिम में कई और किशोर शामिल हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि फिल्म ’क्रिना’ बच्चों को लेकर बनाई गई नये ढर्रे की एक अलग ही फिल्म है, इसमे किशोरवय के बच्चे ’नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए’ लही गाते हैं बल्कि हैरी पॉटर की तरह हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं। उन्होंने बताया कि यह बच्चों को लेकर बनायी गई फिल्म महज बच्चों के लिए नही बनाई गई है। पार्थ ने बताया कि फिल्म ’क्रिना’ के निर्माता हैं हरविन्द सिंह चौहान और इस फिल्म में उनके साथ तुनिष्का शर्मा, इनद्र कुमार, दीपशिखा, सुदेश बेरी, शाहबाज खान और सुधा चन्द्रन ने अभिनय किया है।