बॉलीवुड स्टार मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 में एटाबाद (अब पाकिस्तान) में हुआ था। 80 वर्ष के हो चुके मनोज का असली नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी है। जन्म के बाद इनका परिवार पाकिस्तान से भारत के राजस्थान में आकर रहने लग गए। इनकी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली में हुई। बताया जा रहा है कि बचपन के दिनों में मनोज ने दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म ‘शबनम’ देखी थी। फिल्म में दिलीप कुमार के निभाये किरदार से वे इस कदर प्रभावित हए कि उन्होंने भी फिल्म अभिनेता बनने का फैसला कर लिया।
मनोज कुमार ने 20 साल की उम्र में यानी 1957 में फिल्म फैशन से बॉलीवुड डेब्यू किया लेकिन उन्हें ज्यादा पहचान नहीं मिली। 1960 में उन्होंने फिल्म कांच की गुडिय़ा से बतौर लीड एक्टर डेब्यू किया पर इस फिल्म ने भी खास सफलता नहीं दिलवाई। 1960 के दशक में उनकी रोमांटिक फि़ल्मों में ‘हरियाली और रास्ता, दो बदन के अलावा हनीमून, अपना बना के देखो, नकली नवाब, पत्थर के सनम, साजन, सावन की घटा, अपने हुए पराये, पहचान आदमी, शादी, गृहस्थी और गुमनाम, वो कौन थी?, रेशमी रूमाल, सहारा, पंयायत, सुहाग सिंदूर, पिया मिलन की आस, ‘शहीद’, ‘उपकार’, पूरब और पश्चिम’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्में बनाई।
बताया जाता है कि जब निराश हो कर अमिताभ बच्चन वापस जा रहे थे तो उन्हैें मनोज कुमार ने ही रोका था और उन्हें अपनी फि़ल्म ”रोटी, कपड़ा और मकान’ में मौका दिया। फि़ल्मों में उनके योगदान को देखते हुए मनोज कुमार को दादा साहब फाल्के, पद्मश्री, फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट जैसे अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। बता दें, कि मनोज कुमार के फैेस में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से लेकर इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी तक शामिल रहे हैं।
मनोज अपने सिने कैरियर में सात फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये हैं। इन सबके साथ ही फिल्म के क्षेत्र में मनोज कुमार के उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें वर्ष 2002 में पदमश्री पुरस्कार, वर्ष 2008 में स्टार स्क्रीन लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार और वर्ष 2016 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।