बाघिन ने 2 साल में ली 13 लोगों की जान, कोर्ट ने मारने का दिया आदेश
मुंबई: महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में बाघिन अवनि आदमखोर हो चुकी है। वह दो साल में 13 लोगों को मार चुकी है। उसे देखते ही गोली मारने का आदेश है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बाघिन को मारने पर मुहर लगाई है। वहीं, एक वन्यजीवों के लिए काम करने वाले समूह ने बाघिन को बचाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास याचिका दायर की है। जून 2016 से ही महाराष्ट्र के यवतमाल में बाघिन (टी-1) अवनि का खौफ है। 20 हजार की आबादी वाले 26 गांवों में बाघिन का खतरा है। 100 से ज्यादा लोग बाघिन को मारने के लिए ढूंढ रहे हैं। महाराष्ट्र वन विभाग बाघिन को पहले ही आदमखोर घोषित कर चुका है। छह साल की इस बाघिन के दो शावक हैं। बाघिन को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई गई थी। लेकिन सितंबर में कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि लोगों के हित में अवनि को मारना जरूरी है। अवनि को पकड़ने के लिए वन विभाग के अधिकारी एक खास कंपनी का मेल परफ्यूम इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि इसकी गंध से बाघिन पास आ जाए और उसे पकड़ लिया जाए। इसके लिए अमेरिका की एक घटना का उदाहरण दिया जा रहा है। 2010 में छपी वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक- एक खास तरह के परफ्यूम की गंध के चलते दो तेंदुए 11 मिनट तक शिकार छोड़कर आसपास ही घूमते रहे। बाघिन को पकड़ने के लिए 100 कैमरे लगाए गए हैं। गोल्फर ज्योति रंधावा के शिकारी कुत्तों और पैराग्लाइडर्स को भी अवनि को ढूंढने के काम में लगाया गया है। लेकिन इन सबके बावजूद अवनि वन विभाग और लोगों की पकड़ से दूर बनी हुई है। कार्यकर्ताओं ने बाघिन को बचाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को याचिका भेजी है। इसमें कहा गया है कि वह बाघिन को देखते ही गोली मारने का आदेश रद्द कर दें। अवनि को बचाने के लिए अमेरिका की बिग कैट रेस्क्यू (बीसीआर) का उदाहरण भी दिया गया है जिसमें आदमखोर हो चुके शेरों-बाघों-तेंदुओं को रखा जाता है। भारत में बीसीआर कैंपेन दो एनीमल राइट्स एक्टीविस्ट सुप्रिया सिंह और नीतू जे चला रही हैं। सुप्रिया और नीतू अर्थ ब्रिगेड फाउंडेशन (एनजीओ) से भी जुड़ी हुई हैं। इस एनजीओ ने भी सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह अवनि को देखते ही गोली मारने के आदेश पर रोक लगाए।