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बीजिंग ने लड़ाई छोड़, की मिलजुल कर रहने की पैरवी

बीजिंग: चीनी ड्रैगन और भारतीय हाथी को आपस में लड़ना नहीं चाहिए बल्कि उन्हें साथ- साथ मिलजुल कर रहना चाहिए, चीन के विदेश मंत्री वांग यि ने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में दोनों देशों से अपने मानसिक अवरोध को त्यागने, मतभेदों को सुलझाने और द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए दूरियां पाटने की बात कही। चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर, जैश- ए- मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने संबंधी भारत के प्रयास को चीन द्वारा अवरुद्ध किया जाना और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत का प्रवेश रोकना सहित कई मुद्दों ने पिछले वर्ष चीन- भारत संबंधों को प्रभावित किया। भारत और चीन की सेना के बीच डोकलाम में 73 दिनों तक गतिरोध जारी रहा।

चीन की सेना  को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चिकन नेक कोरिडोर में सड़क निर्माण कार्य रोके जाने के बाद 28 अगस्त  2017को यह गतिरोध समाप्त हुआ। गौरतलब है कि इस हिस्से पर भूटान अपने दावा करता है। डोकलाम गतिरोध सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर वर्ष 2017 में तनावपूर्ण संबंधों के बाद चीन भारत के साथ अपने रिश्ते को किस रूप में देखता है, इस  सवाल पर वांग ने कहा, कुछ परीक्षाओं और मुश्किलों के बावजूद, चीन- भारत संबंध बेहतर हो रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि राजनीतिक विश्वास होने की स्थिति में कोई भी, यहां तक कि हिमालय भी हमें मित्रवत संबंधों से रोक नहीं सकता। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की हिन्द- प्रशांत रणनीति से चीन के बेल्ट एंड रोड इंनिशिएटिव ( बीआरआई) के मामले में उन्होंने कहा कि सुर्खियां बनाने वाले विचारों की कोई कमी नहीं है, लेकिन वह समुद्री झाग की तरह है, जो ध्यान तो जल्दी आकर्षित करता है, लेकिन जल्दी ही खत्म हो जाता है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि चीन अपने अधिकार और वैध हितों को बरकरार रखते हुए भारत के साथ संबंधों के संरक्षण पर ध्यान दे रहा है।

चीन और भारत के नेताओं ने हमारे संबंधों के भविष्य के लिए रणनीतिक दूरदृष्टि तैयार की है। चीनी ड्रैगन और भारतीय हाथी को आपस में लड़ना नहीं चाहिए, बल्कि साथमें कदमताल मिलाना चाहिए। यदि चीन और भारत एकजुट हो जायें तो वह मिलकर एक और एक दो की जगह, एक और एक ग्यारह हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय हालात में सदी के बड़े बदलाव हो रहे हैं और चीन तथा भारत को इसे प्रोत्साहित करने और एक दूसरे का समर्थन करने तथा परस्पर संदेह को कम करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, उन्होंने कहा कि चीन- भारत संबंध में परस्पर विश्वास सबसे मूल्यवान है।

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