शिवसेना का कहना है कि 2014 में उत्तर प्रदेश की 80 में से 71 सीटें जीतने के कारण ही केंद्र में बीजेपी की बहुमतवाली सरकार बन सकी पार्टी का कहना है कि मगर 2019 में उसकी पुनरावृत्ति होने की संभावना नहीं।
मुंबई : बुलंदशहर में हुई हिंसा को लेकर बुधवार को शिवसेना ने अपने गठबंधन सहयोगी बीजेपी पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या यह 2019 चुनावों से पहले धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास है। शिवसेना ने बेहद चुटीले और व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि गो मांस और गो हत्या जैसे मुद्दे गोवा, मिजोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी हैं क्योंकि वहां तो खुलेआम गोमांस खाया जाता है। मगर उन राज्यों में कभी उत्पात नहीं मचा या मॉब लिंचिंग जैसा मामला नहीं हुआ क्योंकि उन राज्यों में लोकसभा की इक्का-दुक्का सीटें हैं। शिवसेना का कहना है कि 2014 में उत्तर प्रदेश की 80 में से 71 सीटें जीतने के कारण ही केंद्र में बीजेपी की बहुमतवाली सरकार बन सकी पार्टी का कहना है कि मगर 2019 में उसकी पुनरावृत्ति होने की संभावना नहीं ऊपर से सारे विरोधी एक हो गए तो बीजेपी की हार हो सकती है, यह बात कैराना लोकसभा उपचुनाव ने स्पष्ट कर दी है।
सामना में किया सवाल
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में सवाल किया है, ‘‘इसलिए 2014 के चुनाव से पहले जिस तरह ‘मुजफ्फरनगर’ और बीच के दिनों में ‘कैराना’ कराया गया, वैसा अब ‘बुलंदशहर’ में कराया जा रहा है क्या?’’ सामना ने लिखा है, ‘‘उत्तर प्रदेश की 80 सीटें 2019 में भी बीजेपी के लिए ‘गेम चेंजर’ होनेवाली हैं. उसी के लिए गो त्या का ‘संशय पिशाच’ लोगों की गर्दन पर बैठाकर धार्मिक उन्माद का और वोटों के ध्रुवीकरण का वही रक्तरंजित ‘पैटर्न’ फिर से चलाने की कोशिश शुरू की है क्या?’’
40 हजार से ज्यादा लोग हुए विस्थापित
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और आसपास के जिलों में अगस्त-सितंबर 2013 में हुई हिंसा में 60 से ज्यादा लोग मारे गए थे जबकि 40,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे। शिवसेना ने कहा कि जिस सुबोध कुमार सिंह नामक पुलिस अधिकारी की इस हिंसा में बलि चढ़ी है, उसके भाई और बहनों ने कई आरोप लगाए हैं। 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में हुई अखलाक की हत्या की तफ्तीश उन्होंने ही की थी। शिवसेना ने सवाल किया, ‘‘बुलंदशहर में गोहत्या की आशंका के चलते जो हिंसा हुई, उसमें भी ऐसा ही कुछ हुआ है क्या? ’’