दस्तक-विशेष

बैडमिंटन में अविस्मरणीय योगदान

-एस एम अब्बास
साल 2011 की बात है बैडमिंटन में भारत विश्व खेल पटल पर चमकने के लिए लगातार दस्तक दे रहा था। उन्हीं दिनों बैडमिंटन एसोसिएशन की कमान डॉ. अखिलेश दास गुप्ता के हाथों में थी। उन्होंने बैडमिंटन की काया पलटने के लिए पूरा जोर लगा दिया। अखिलेश दास ने शुरुआती दौर से बैडमिंटन को आगे बढ़ाने के लिए ठोस योजना तैयार कर डाली। इतना ही नहीं विश्व बैडमिंटन में अखिलेश दास की हनक देखी जा सकती थी। उन्होंने अपने तरीके से बैडमिंटन को शानदार तरीके से चलाया। उनके हर फैसले से बैडमिंटन का सुंदर भविष्य सामने आया। यह बात भी सत्य है कि क्रिकेट के आगे दूसरे खेल बौने साबित हुए है लेकिन कुछ खेलों में भारतीय खिलाड़ी लगातार चमक रहे हैं। ओलंपिक जैसी प्रतियोगिता में भारत आज मेडल जीत रहा है तो उसमें अखिलेश दास का बहुत बड़ा योगदान है। अखिलेश दास अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उन्होंने देश में बैडमिंटन को एक अलग पहचान दी। जिस खेल में इक्का-दुक्का खिलाड़ी दिखायी पड़ते थे, उसी खेल में अखिलेश दास ने एक नई जान फूंक दी। अतीत में जो खेल संघर्ष करता दिख रहा था। अतीत के पन्नों को पलटते तो इस खेल में भारत काफी पीछे था। दरअसल गोपी और प्रकाश पादुकोण को छोड़ दिया जाये तो बैडमिंटन में उस जमाने में कुछ नहीं था। वीके वर्मा जैसे लोग बैडमिंटन में लूट-खसोट में लगे हुए थे। वीके वर्मा ने बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर बैडमिंटन को गर्त की ओर ढकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं खिलाड़ियों का पैसा भी डकारा जाने लगा। वीके वर्मा के जाने के बाद बैडमिंटन संघ की कमान अखिलेश दास के हाथों में थी। अखिलेश दास के अध्यक्ष बनते ही देश में बैडमिंटन की हालत सुधरने लगी। उन्होंने घाटे में चल रहे बैडमिंटन एसोसिएशन को इससे बाहर निकालना शुरू कर दिया था। बताते चले कि 2010 के कॉमनवेल्थ में घोटाले की आंच वीके वर्मा तक जा पहुंची थी। इतना ही नहीं उस वक्त के बार्ई अध्यक्ष वीके वर्मा को जेल की हवा तक खानी पड़ी। इसके बाद बैडमिंटन को चलाने का जिम्मा डॉ. अखिलेश दास गुप्ता को मिला। यह वही साल था जब भारतीय खेलों में भ्रष्टाचार अपनी अलग पैठ बना चुका था लेकिन अखिलेश दास ने इन सब के बीच बैडमिंटन की डूबती हुई कश्ती को बड़ी आसानी से निकाल लिया।

उन दिनों में अखिलेश दास सियासत की पिच पर चौके और छक्के जड़ रहे थे। उनकी राजनीतिक पारी बखूबी किसी से सितारे से कम नहीं थी। मेयर पद से लेकर मंत्री बनने तक उनकी चर्चा राजनीतिक गलियारे में खूब सुर्खियां बटोरी लेकिन उनका असली प्यार बैडमिंटन था क्योंकि वह किसी जमाने में राष्ट्रीय स्तर के स्टार खिलाड़ी हुआ करते थे। उनकी धमक बैडमिंटन जगत में भी खूब देखी जा सकती थी। 70 के दशक में बैडमिंटन में वह खूब सुर्खियों में रहते थे। केडी सिंह बाबू स्टेडियम में रोज बैडमिंटन का गुर सीखते थे। घंटों बैडमिंटन के अभ्यास में जुटे रहते थे। जिला स्तर पर उस जमाने आरएन खन्ना बैडमिंटन बड़ा टूर्नामेंट माना जाता था। इसी टूर्नामेंट में अखिलेश दास ने बेहद शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए चैम्पियन होने का गौरव प्राप्त किया। यहां से अखिलेश दास ने अपने बैडमिंटन करियर की शुरुआत कर दी थी। स्कूली स्तर पर भी अपनी अलग छाप छोड़ी और चैम्पियन बनने का सपना पूरा किया। अरुण कक्कड़ के साथ जोड़ी बनाकर यूपी की तरफ से अखिलेश दास ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और कामयाबी के साथ वह बैडमिंटन में आगे बढ़ते रहे। बैडमिंटन कोर्ट से अलग होने के बाद भी अखिलेश दास का इस खेल के प्रति लगाव कम नहीं हुआ और इसके बाद उन्होंने एसोसिएशन में अपना जुड़ाव रखते हुए जुड़े रहे। यूपी बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष बने और बैडमिंटन को खास कद देने के लिए सूबे में यानी उत्तर प्रदेश बैडमिंटन अकादमी का निर्माण किया। यह ऐसी अकादमी थी जहां हर प्रकार की अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा प्रदान की गई है। धीरे-धीरे अखिलेश दास बैडमिंटन एसोसिएशन में अपनी अलग पहचान बना चुके थे। इसके बाद 2012 में वह बैडमिंटन के शीर्ष पद पर यानी बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बने। बैडमिंटन के जानकारों की माने यही से भारतीय बैडमिंटन के स्वर्णिम युग की शुरुआत हुई। इसी साल लंदन ओलंपिक में भारतीय बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल ने पदक जीतकर देश का मान बढ़ा दिया। इसके बाद तो अखिलेश दास ने बैडमिंटन को आगे बढ़ाने के लिए कई बड़ी योजना बनायी। इसी के तहत प्रीमियर बैडमिंटन लीग की शुरुआत अखिलेश दास के प्रयासों से शुरू हुई। इसी लीग के सहारे भारत के कई उभरते हुए खिलाड़ियों को अपने करियर में नई उड़ान देने का अवसर प्रदान किया। इतना ही नहीं इस लीग के सहारे भारतीय खिलाड़ी बल्कि विदेशी खिलाड़ी भी अपनी किस्मत चमकाने में जुट गये। चीन और इंडोनेशियाई देशों के कई बड़े खिलाड़ी इस लीग में खेलते नजर आये। कई युवा और उभरते हुए खिलाड़ियों को विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने का अवसर मिला और सीखने का सबसे बड़ा अनुभव प्राप्त किया। उनके बैडमिंटन संभालते सायना नेहवाल का बैडमिंटन करियर उड़ान भरने लगा। लंदन ओलंपिक में सायना ने पदक जीतकर देश का मान बढ़ा दिया। अखिलेश दास ने इसके बाद बैडमिंटन को शीर्ष पर ले जाने के लिए कई कदम उठाये। इसी दौरान पीवी सिंधु एकाएक विश्व बैडमिंटन पटल पर चमकने लगीं। जानकारों की माने तो अखिलेश दास ने प्रतिभावान खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव मदद दी। उनमें कोचिंग को लेकर खिलाड़ियों को वल्र्ड क्लास की सुविधायें उपलब्ध कराना सबसे अहम माना जाता है। उन्होंने गोपी जैसे कोच की तैनाती कर भारतीय बैडमिंटन को तराशने के लिए अहम अवसर प्रदान किया। इतना ही नहीं भारतीय बैडमिंटन सिंधु और सायना से आगे निकलता हुआ पी कश्यप, साई प्रणीत और श्रीकांत जैसे प्रतिभावान खिलाड़ियों को सामने लेकर आया।

बैडमिंटन एसोसिएशन के पद पर रहते हुए उन्होंने आईपीएल की तरह इंडियन बैडमिंटन लीग की शुरुआत की जो आगे चलकर बेहद सफल साबित हुई। जो खिलाड़ी अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पा रहे थे उनके लिए बैडमिंटन लीग बहुत बड़ा प्लेटफर्म साबित हुआ। इस लीग के सहारे देश और विदेशों के खिलाड़ी दम-खम के साथ खेलते नजर आये। लीग के शुरू होते ही बैडमिंटन में नया ग्लैमर पैदा हो गया। युवा खिलाड़ियों को सायना, सिंधु जैसे खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिला। इसी लीग के सहारे कई और भारतीय खिलाड़ी विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाने लगे। उनके कार्यकाल में सौरभ वर्मा व समीर वर्मा जैसे खिलाड़ी लगातार चमक रहे थे। जूनियर स्तर से धाक जमाने वाले यह खिलाड़ी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी धमक से दुनिया जीतने का हौसला दिखा रहे हैं। भारतीय बैडमिंटन संघ में शानदार काम करने की वजह से अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन संघ भी उनका कायल नजर आया। यह अखिलेश दास की हनक थी जब इंडियन ओपन को सुपर सीरीज टूर्नामेंट का दर्जा मिला। इतना ही नहीं सैयद मोदी बैडमिंटन को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट का दर्जा दिलाने में भी अहम भूमिका निभायी। जिस खेल में चीन, जापान व डेनमार्क जैसे देश अलग पहचान बना चुके थे उसी खेल में अब भारत का दबदबा देखते ही बनता है। अखिलेश दास की बदौलत उबेर कप, सुपर सीरीज जैसी बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन भारत में होना संभव हो सका। उनके आने के बाद से भारतीय खिलाड़ियों को मालामाल होने का मौका मिला। देश में बैडमिंटन का अलग माहौल तैयार करने के लिए कोचिंग का स्तर और मजबूत योजना बनायी। कुल मिलाकर उनके जाने से भारतीय बैडमिंटन ही नहीं बल्कि विश्व बैडमिंटन के लिए बहुत बड़ा झटका है। 

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