लखनऊ । हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में सिविल पुलिस व प्लाटून कमांडर में दारोगा के चार हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति प्रकिया रद करने के एकल पीठ के आदेश पर गुरुवार को मुहर लगा दी। एकल पीठ ने गत 24 अगस्त, 2016 को इन दारोगाओं की चयन प्रकिया लिखित परीक्षा के स्तर से रद कर दी थी। कोर्ट ने कुछ दिशा-निर्देशों के साथ भर्ती प्रकिया आगे बढ़ाने का आदेश दिया था।
JIO यूजर्स को बड़ा झटका, खत्म हुआ TRAI-FREE OFFER, अंबानी ने निकाला नया तरीका
उक्त निर्णय के खिलाफ दायर कई विशेष अपीलें जस्टिस एपी साही व जस्टिस डीके उपाध्याय की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दी और चयनित अभ्यर्थियों को राहत देने से मना कर दिया। डिवीजन बेंच ने पहले से सुरक्षित फैसला सुनाते हुए कहा कि चयन प्रक्रिया में तमाम अनियमिताएं स्पष्ट थीं। क्षैतिज आरक्षण को गलत तरीके से लागू किया गया था।
बड़ीखबर : पाकिस्तान से भागने की तैयारी में हैं नवाज शरीफ?
पदों के तीन गुना से अधिक अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। कुछ अभ्यर्थियों को राउंड मार्क्स दिए गए थे। अयोग्य अभ्यर्थियों को भी साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। जो प्रकिया अपनाई गई वह सेवा नियमावली के खिलाफ थी।
मोदी सरकार के निशाने पर आए नौकरशाह, ठिकानों पर छापेमारी जारी
जस्टिस राजन राय की बेंच ने 24 अगस्त, 2015 को उन अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर चयन प्रकिया खारिज कर सरकार को निर्देश दिया था कि लिखित परीक्षा से भर्ती प्रकिया आगे बढ़ाकर उसे पूरा किया जाए। सिंगल जज के उक्त फैसले के खिलाफ धमेर्ंद्र कुमार व अन्य ने विशेष अपीलें दाखिल की थीं। राज्य सरकार ने भी अलग से अपील फाइल कर इस फैसले को चुनौती दी थी।