भाई से मिलने के बाद शिवपाल हुए ‘मुलायम’, बोले- नेताजी भी खुश और हम भी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच पारिवारिक तकरार के कारण छाए संकट के बादल छंटने के कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे क्योंकि दोनों में से किसी ने भी अपने रूख से झुकने का संकेत नहीं दिया है। अपने भाई एवं पुत्र के बीच तकरार को लेकर उलझन में फंसे सपा मुखिया मुलायम सिंह ने शिवपाल से मिलकर संकट को दूर करने के प्रयास किए। अखिलेश ने शिवपाल से उनके महत्वपूर्ण विभाग लेकर इस तकरार को और पेचीदा बना दिया है। इस संकट के समाप्त होने का कोई संकेत नहीं होने के बीच पार्टी सूत्रों ने कहा है कि मुख्यमंत्री को इस बात के लिए मनाया जा सकता है कि वह महत्वपूर्ण विभागों को लौटाकर इस मुद्दे पर अपने रूख को नरम करेंगे। बताया जाता है कि मुलायम ने जो शांति फार्मूला निकाला है कि उसमें शिवपाल से यह उम्मीद की जाएगी कि वह पार्टी का प्रदेश प्रमुख बनाए जाने के बाद पार्टी मामलों पर अधिक ध्यान देंगे। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
अखिलेश को कल उनके पिता ने सपा प्रदेश प्रमुख पद से हटा दिया था जिससे यह संकट और गहरा गया। इस बीच, सपा संसदीय बोर्ड की बैठक अगले 2 दिनों में बुलाई जा सकती है जिसमें चुनाव से पहले पार्टी और सरकार की छवि को हुए नुकसान आदि मुद्दों के समाधान पर चर्चा होगी। इस बीच शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से कहा कि उनके आदेशों का पालन करने के बाद भी उन्हें विलेन के तौर पर पेश किया जा रहा है। शिवपाल पार्टी प्रमुख मुलायम के छोटे भाई हैं। उन्होंने दिल्ली में मुलायम से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। दोनों की बैठक 4 घंटे से भी ज्यादा देर तक चली और इसमें शिवपाल ने मुलायम से कहा कि पिछले साढ़े 4 साल में विभिन्न मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद उन्होंने पार्टी प्रमुख के निर्देशों का पालन किया। शिवपाल के करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने उदाहरण दिया कि अखिलेश यादव सरकार में वरिष्ठ मंत्री के रूप में उन्होंने अखिलेश या मुलायम द्वारा लिए गए निर्णयों का कभी सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं किया हालांकि उन्होंने उनसे निजी मुलाकात में मतभेदों का जिक्र किया।
शिवपाल ने बाद में संवाददाताओं से बातचीत में इन अटकलों को खारिज कर दिया कि पार्टी के अंदर और यादव परिवार में कोई मतभेद है। उन्होंने कहा कि न तो मैं और न ही नेताजी नाराज हैं। हम सब खुश हैं….कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट विभागों का फैसला मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। लेकिन नेताजी ने मुझे पार्टी की राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया है। मेरी जिम्मेदारी अगले चुनाव में सपा को सत्ता में वापस लाना है। मैं अपनी जिम्मेदारी पूरी करूंगा…मैं इस्तीफा नहीं दूंगा…मैं अब भी कैबिनेट में शामिल हूं। मुलायम शुक्रवार सुबह लखनऊ पहुंच सकते हैं और इस बात के संकेत हैं कि उनकी अखिलेश के साथ अकेले में बैठक हो। राज्य में अभूतपूर्व संकट पैदा हो जाने के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश हालात पर नजर रखने के लिए लखनऊ में सुबह से 5, कालिदास मार्ग स्थित आधिकारिक आवास पर हैं और वह अपने 2 आधिकारिक कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए। अखिलेश ने लखनऊ में संवाददाताआें से कहा कि सरकार का झगड़ा है, परिवार का नहीं। परिवार में सब नेताजी की बात मानते हैं। मैंने भी नेता जी की बात मानी। नेताजी की बात भला कौन नहीं मानेगा।
उन्होंने कहा कि घर के बाहर के लोग हस्तक्षेप करेंगे तो पार्टी कैसे चलेगी। कुछ निर्णय जरूर मैंने लिए हैं। मैंने भी नेताजी की बात मानी है। कभी कभी कुछ निर्णय अपने आप लिए जाते हैं। नेताजी के कहने से भी निर्णय लिए और कुछ अपने आप भी लिए। जाहिर सी बात है कि ‘घर के बाहर के लोग’ से अखिलेश का संकेत शायद हाल ही में सपा में वापसी करने वाले राज्यसभा सांसद अमर सिंह की आेर था। बताया जाता है कि अमर सिंह ने दिल्ली में रात्रिभोज का आयोजन किया था, जिसमें सिंघल शामिल हुए थे। खुद अखिलेश इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे और वह इस बात से संभवत: सिंघल से नाराज थे। हालांकि इस रात्रिभोज में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सहित कई वरिष्ठ पार्टी नेता शामिल हुए थे।